बुधवार, 16 फ़रवरी 2011

जरा इन बातो पर ध्यान दे

शेखर झा
कुछ विचित्र सी खबरें पढ़ने को मिलती हैं। खबर यह होती है कि अमूक विद्यार्थी ने आत्महत्या कर ली, क्योंकि उसे अच्छी अँगरेजी नहीं आती थी। यह भी खबर पढ़ने को मिलती है कि उसने आत्महत्या कर ली, क्योंकि उसकी प्रेमिका ने उसे ठुकरा दिया या प्रेमी से उसकी शादी नहीं हो सकी। यह पढ़कर न केवल गहरा दुःख होता है, बल्कि धक्का सा पहुँचता है।
दुःख इसलिए होता है कि एक ऐसा जीवन जिसे इस धरती ने अपनी गोद में 18-20 साल रखा। जिसे प्रकृति ने अपनी हवा, पानी और रोशनी से पाला-पोसा, वह यूँ ही एक मिनट में इन सबको ठुकराकर इतना अधिक निर्दयी बनाकर एक मिनट में चलता बना। वह कुछ बनकर इस धरती को और बेहतर बनाने में जो अपना योगदान दे सकता था, उस संभावना को उसने अपने जीवन की समाप्ति के साथ ही समाप्त कर दिया। धक्का मुझे इसलिए लगता है कि मैं सोचता हूँ कि क्या इतने अमूल्य, इतने महत्वपूर्ण और इतने असाधारण जीवन को ऐसी छोटी-छोटी बातों के लिए खत्म कर दिया जाना चाहिए? कम से कम मैं तो इससे इत्तफाक नहीं रख पाता। हो सकता है कि मेरी इस बात से मेरे युवा साथी सहमत न हों, क्योंकि उन्हें प्रेम की सफलता और असफलता जिंदगी की एक बहुत बड़ी बात मालूम पड़ती है। इसलिए वे इसके लिए मरने और मारने की बात को एक प्रकार से अपने अस्तित्व से ही जोड़कर देखने लगते हैं।
उन्हें लगता है कि यदि प्रेम ही नहीं रह गया तो जिंदगी के रहने का अर्थ ही क्या है। और समाज में ऐसे भावुक युवा प्रेमियों को समझा पाना इतना आसान भी नहीं होता। ऐसे कई लोगों से मेरा साबका पड़ा है और मैंने समझाने की इस परेशानी को झेला भी है। मैंने पाया है कि उनके सारे सच के केंद्र में उनकी अतिरिक्त भावुकता होती है।
यदि उनकी इस भावुकता पर तार्किकता की थोड़ी सी भी लगाम कसी जा सके तो ऐसी न जाने कितनी जिंदगियों को नष्ट होने से बचाया जा सकता है। यहाँ तक कि बहुत सी ऐसी भी जिंदगियाँ होती हैं, जो नष्ट तो नहीं होती, लेकिन अपने उस खोए हुए प्यार को अपने दिल में दबाए हुए अपने लिए लगातार बर्बादी के रास्ते तलाशती रहती है। ये जितना बेहतर जीवन जी सकते थे, अपने-आपको उस बेहतर जीवन से वंचित कर लेते हैं।

मित्रों सातवें दशक के एक बहुत खूबसूरत फिल्मी गीत की पंक्तियाँ हैं-
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए
यह मुनासिब नहीं जिंदगी के लिए।
प्यार से भी जरूरी कई काम हैं
प्यार सब कुछ नहीं जिंदगी के लिए।


प्यार बहुत कुछ तो हो सकता है, लेकिन सब कुछ कतई नहीं। और यदि सच पूछिए तो प्रेम केवल तभी तक प्रेम रहता है, जब तक कि वह आपको मिलता नहीं। जैसे ही प्रेम मिल जाता है, यानी कि प्रेमिका पत्नी और प्रेमी पति बन जाता है, जैसे ही प्रेम उड़न-छू हो जाता है। स्पष्ट है कि जब प्रेमी प्रेमी नहीं रहा और प्रेमिका प्रेमिका नहीं रही, तो फिर भला प्रेम ही प्रेम कैसे रह सकता है। मैं जानता हूँ कि मेरी इस बात पर सौ प्रश प्रेम-प्रेमिका भरोसा नहीं करेंगे, क्योंकि इस पर भरोसा करने के लिए अनुभव की जरूरत होती है और यदि एक बार अनुभ वहो जाए तो फिर आप भरोसा करें या न करें उसका कोई अर्थ नहीं रह जाता।
इसलिए फिलहाल तो मैं अपने युवा मित्रों से यही कह सकता हूँ कि कृपया यकीन करें। साथ ही एक बात और। जिंदगी के किसी भी क्षेत्र की सफलता का परिणाम आप अपने जीवन के अंत में क्यों ढ़ूँढते हैं? आपको लगता होगा कि यह जिंदगी आपकी है और आप इसके साथ जैसा चाहें, बर्ताव कर सकते हैं।
यदि आप ऐसा सोचते हैं कि जो गलत सोचते हैं, क्योंकि यह जिंदगी आपकी होकर भी आपकी नहीं है। यह ईश्वर और प्रकृति के द्वारा आपके पास रखी गई एक धरोहर मात्र है। आप इसके केवल रखवाले भर हैं। जिस तरह एक चौकीदार उस घर का मालिक नहीं हो जाता जिसकी वह रखवाली कर रहा है, उसी तरह आप भी अपने शरीर के मालिक नहीं है, जिसको आप पाल-पोस रहे हैं। आपके माँ-बाप ने इसको तैयार किया है और पूरी प्रकृति और पूरा समाज मिलकर इसके अस्तित्व को बनाए रखने में इसकी मदद कर रहा है। इसलिए किसी व्यक्ति को यह अधिकारी नहीं होता कि वह ईश्वर की इस धरोहर को नष्ट कर दे।
मित्रों जीवन में कभी ऐसा नहीं होता कि रास्ते खत्म हो जाते हैं। रास्ते खत्म नहीं होते; हाँ, वे मुड़ सकते हैं। बड़े रास्ते छोटी पगडंडियाँ बन सकती हैं। लेकिन वे मरती कभी नहीं। जिंदगी हमेशा संभावनाओं से भरा हुआ एक विशाल कर्मक्षेत्र होता है जहाँ एक दरवाजा बंद होने पर सौ दरवाजे खुलने की प्रतीक्षा करते रहते हैं।
आपको करना केवल यह होता है कि अपने आँखों के आँसुओं को पोंछकर आँखें उठाकर आशा भरी नजरों से क्षितिज को निहारना होता है और आपके देखते ही देखते न जाने कितने दरवाजे उन्मुक्त हो जाते हैं। इसलिए उदास, निराश और हताश होने की कोई जरूरत ही नहीं होती।

रविवार, 6 फ़रवरी 2011

क्यूट सी गर्लफ्रेंड को क्यूट सा गिफ्ट




वेलेंटाइन-डे को खास बनाने के लिए युवाओं ने प्लानिंग शुरु कर दी है। इसमें सबसे इम्पोर्टेंट होता ही अपने खास के लिए गिफ्ट खरीदना। फ्लावर्स, चॉकलेट्स और कोई आर्टिफिशियल चीजों की लिस्ट में एक नाम और शामिल हो गया है और वो है ‘पपी’। जी हां! सुनकर आश्चर्य हुआ न मगर ये सच है राजधानी में खास वेलेंटाइन-डे के लिए लोग डॉग्स परचेज कर रहे हैं। इन पपी की कीमत भी तीन हजार से शुरु होकर पचास हजार तक है।
शेखर झा
प्यार के दिन को खास बनाने के लिए यूथ्स बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। अपनी गर्लफ्रैंड को या अपने बॉयफै्रं ड को ऐसा क्या दूं कि बस उसके लिए ये दिन खास बन जाए। कुछ इसी सोच के चलते इन दिनों यूथ्स गिफ्ट्स के आप्शन की तलाश में हैं। इनमें से कुछेक ने तो इस वेलेंटाइन-डे पर अपने अजीज को पपी देने की ही प्लानिंग कर डाली है। वहीं कुछ लोगों ने तो खरीदकर ले जाना भी शुरु कर दिया है। कटोरातालाब चौक स्थित कमांडो डॉग दुकान में इन दिनों पपी की तलाश में लोगों का आना-जाना लगा हुआ है। इसमें बॉयफ्रैंड खास अपनी गर्लफ्रैंड के लिए पामोलियन नस्ल का डॉग (पपी) खरीद रहे हैं। इस किस्म के डॉग की कीमत 3 हजार से शुरु है।
पपी की पूछपरख ज्यादा
कटोरातालाब स्थित कमांडो डॉग दुकान के संचालक सैफ खान ने बताया कि वैलेंटाइन के आने से पहले ही लोग गिफ्ट के लिए पपी देखने के लिए आने लगे हैं। खास वेलेंटाइन-डे को देखते हुए कहा जाए तो रोजाना दो, तीन पपी की बिक्री हो ही जाती है। सबसे ज्यादा व्हाइट कलर वाले पपी खरीदे जा रहे हैं। इन पपी के खरीदार सिर्फ शहर में ही नहीं बल्कि जगदलपुर, कांकेर, चारामा व उड़ीसा तक में हैं। यहां से भी इन पपी की डिमांड आती है। जो लोग इन पपीज को खरीद रहे हैं उनका कहना है कि वेलेंटाइन पर गुलाब फूल, चॉकलेट देने से अच्छा है कि कुछ ऐसी चीज दें कि वो हमेशा याद रहे।
विदेशी नस्ल के डॉग भी
सैफ खान बताते हंै कि दुकान में देश के साथ विदेशी नस्ल के डॉग भी हैं। ये सभी डॉग्स चेन्नई, बैंग्लोर, कलकत्ता, हैदराबाद, दिल्ली व जयपुर के साथ मास्को व साउथ अफ्रीका से मंगवाए जाते हैं। दुकान में पामोलियन, जर्मन शेफर्ड, लेब्राडोर, कॉकर स्पेनियर, रॉट विलर, ग्रेग डन, गोल्डन रिटेवर, बूल मैस्टिक, सेंट ब्रनाड व अन्य नस्लों के डॉग उपलब्ध हैं। इस सभी नस्लों में से सबसे ज्यादा लोग पामोलियन, लेब्राडोर, जर्मन शेफर्ड के पपी की खरीदी कर रहे हैं।
वेलेंटाइन छूट भी
वेलेंटाइन डे को देखते हुए हमारी दुकान की ओर से इन डॉग्स की खरीदी पर दस फीसदी की छूट दी जा रही है। सैफ खान ने बताया कि वैलेंटाइन डे में किसी के द्वारा डॉग का जोड़ा खरीदा जाता है, तब उन्हें दस फीसदी छूट दी जा रही है। उन्होंने बताया कि जिनके द्वारा डॉग की खरीदी की जाती है उनके घर जाकर डॉग को तीन महीने की टेÑनिंग भी दिए जाने की सुविधा दी जा रही है। ट्रेनिंग दिए जाने का उनके द्वारा अलग से दाम किया जाता है। वैलेंटाइन डे को देखते हुए एक दिन में कम से कम दो से तीन डॉग की बिक्री हो जा रही है।

शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2011

रायपुर के गांवों से गुजरेगी पेट्रोलियम पाइपलाइन

पारादीप-सम्बलपुर-रायपुर-रांची से होकर जाएगी पाइपलाइन, अधिग्रहण शुरू
मनीष सिंह
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर इंडियन आॅयल कार्पोरेशन लिमिटेड के ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने जा रहा है। प्रोजेक्ट के तहत एक पाइपलाइन के जरिए पेट्रोेलियम प्रोडक्ट सीधा रायपुर पहुंचेंगे। रायपुर समेत 3 शहरों के डिलीवरी सेंटरों से आसपास के इलाकों एवं पड़ोसी राज्यों को पेट्रोलियम प्रोडक्ट की सप्लाई होगी।
उड़ीसा के कटक जिला स्थित पारादीप में 15 मिलियन टन सालाना उत्पादन क्षमता की रिफाइनरी स्थापित की जा रही है। इस रिफायनरी से उड़ीसा, छत्तीसगढ़ एवं झारखंड को पेट्रोलियम पदार्थों की सप्लाई की जानी है। इसके लिए रायपुर, जटनी, झारसुगड़ा एवं रांची में डिलीवरी सेंटर बनाए जा रहे हैं। पारादीप, सम्बलपुर, रायपुर एवं रांची से होकर 1108 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन पेट्रोलियम उत्पादों का परिवहन करेगी। इंडियन आॅयल ने इस ड्रीम प्रोजेक्ट की राह में पहला कदम रख दिया है। मोटी और मजबूत पाइपलाइन के लिए चिन्हित किए गए इलाकों में रास्ता तलाश लिया गया है। रायपुर जिले के बिलाईगढ़ तहसील के 13 गांवों की जमीन के नीचे से पाइपलाइन गुजरेगी। ये सारे गांव उड़ीसा एवं छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे हैं।
पारादीप पोर्ट ट्रस्ट से पेट्रोलियम पदार्थों की सप्लाई होगी। बंगाल की खाड़ी से कू्रड आॅयल पारादीप पोर्ट के दक्षिणी डॉक तक लाया जाएगा। इसे पारादीप पोर्ट ट्रस्ट में रिफाइन कर चुनिंदा राज्यों में सप्लाई किया जाएगा। इसके लिए खाड़ी से पारादीप पोर्ट के दक्षिणी डॉक कांप्लेक्स तक 15 मीटर चौडृी एवं 7 किलोमीटर लंबी सड़क बनाई जा रही है।
बिलाईगढ़ के इन गांवों से गुजरेगी लाइन
गांव प्र•ाावित
नरेशनगर 17
ढनढनी 22
रायकोना 67
मुड़पार 75
पिपरडुला 31
सरसींवा 29
पेण्ड्रावन 30
चार•ााठा 29
बलौदी 41
जैतपुर 96
झुमका 12
मोहतरा 82
छिरचुवा 15
बाक्स-2
फरवरी में जमीन अधिग्रहण
केंद्र सरकार के पेट्रोलियम और खनिज पाइपलाइन अधिनियम 1962 की धारा 3 की उपधारा (1) के तहत पाइपलाइन बिछाने के लिए •ाूमि का अर्जन किया जा रहा है। जिला प्रशासन ने 18 जनवरी को यह सूचना प्र•ाावित •ाूस्वामियों को •िाजवा दी है। •ाूस्वामियों को दावे-आपत्ति के लिए 21 दिन का समय दिया गया है। इसके बाद फरवरी में चुनी गई जमीन का मालिकाना हक इंडियन आॅयल कॉर्पोरेशन को मिल जाएगा।
दो पंपिंग स्टेशन
पेट्रोलियम पदार्थों की सप्लाई के लिए दो पंपिंग स्टेशन प्रस्तावित हैं। उड़ीसा के जटनी और संबलपुर में पंपिंग स्टेशन बनाने का प्लान है। इन स्टेशनों के जरिए डिलिवरी सेंटर्स तक रिफाइंड पेट्रोलियम पदार्थों की सप्लाई होगी। डिलीवरी सेंटर से चुनिंदा जगहों पर पेट्रोलियम पदार्थ •ोजे जाएंगे।
बाक्स-4
2012 से बहेगा पेट्रोल
पाइपलाइन के जरिए 2012 से पेट्रोलियम पदार्थों की सप्लाई शुरू हो जाएगी। पाइपलाइन की सप्लाई क्षमता 3 मिलियन टन सालाना होगा। प्रोजेक्ट में काफी मोटी एवं मजबूत पाइप का इस्तेमाल होगा। पाइपलाइन के देख•ााल के लिए संबंधित इलाकों में कंपनी के अफसरों की तैनाती होगी।


पाइपलाइन जिन इलाकों से गुजारी जानी है, इसके लिए जमीन का चयन कर लिया गया है। राज्य सरकार के अफसरों की मदद से जमीन अधिग्रहण का सिलसिला शुरू हो गया है। फरवरी माह तक पूरी जमीन इंडियन आॅयल कॉर्पोरेशन के अधीन हो जाएगी। इसके बाद पाइपलाइन बिछाने का काम शुरू हो जाएगा।
-- आर सिंह, डीजीएम, पाइपलाइन, इंडियन आॅयल कार्पोरेशन