सोमवार, 20 फ़रवरी 2012

'जो हूं सिस्टर के खातिर हूं

इंडियन आइडल के विनर मइयांग चैंग और अंकिता मिश्रा की शेखर झा से खास बातचीत
गानों का भी एक समय था, जो लोगों के सीधे दिलों में उतर जाया करते थे, लेकिन अब वे दौर खत्म हो चुके हैं। चैंग और अंकिता रॉकस्टार सिंगर भी मानते है कि पुराने जमाने के गाने लोगों के दिल को छू जाया करते थे, लेकिन अभी के अधिकतर सिंगर रीमेक हो गए हैं। समय और लोगों के च्वॉइस के साथ म्यूजिक का भी ट्रेंड बदल गया है। वैसा नहीं है कि अभी के रीमिक्स गाने लोगों को पसंद नहीं आते हैं, लेकिन पहले जैसा नहीं रहा। उक्त बातें इंडियल आइडल के विनर मियांग चैंग और अंकिता मिश्रा ने कहीं। वे रुंगटा ग्रुप ऑफ कॉलेजेस के वार्षिकोत्सव 'आरोहण-२०१२Ó में पार्टीसिपेट करने के लिए पहुंंचे हुए थे। इस दौरान उन्होंने शेखर झा के साथ अपने सफर के पलों को शेयर किया।
कानपुर की अंकिता मिश्रा कहना है कि अगर अपनी सिस्टर की बात को मान कर सही समय पर निर्णय नहीं ले लेती, तो आज ग्रेजुएशन की परीक्षा की तैयारी करते रहती। अंकिता दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन के फाइनल ईयर की तैयारी कर रही है। अंकिता इससे पहले भी कई कार्यक्रम में पार्टीसिपेट करने के लिए छत्तीसगढ़ में पांच बार आ चुकी हैं, लेकिन चैंग पहली भिलाई आएं हैं।
नहीं छोडऩा चाहिए पढ़ाई
चैंप और अंकिता कहती है कि अभी विभिन्न चैनलों पर नन्हें बच्चों से लेकर यंगस्टर्स तक के लिए विधि कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता है। उस दौरान बच्चों ग्लैमर भी देखने को मिलता है, लेकिन इस दौरान वे अपनी पढ़ाई को छोड़ देते हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से एक हाथ से ताली नहीं बजाई जाती, उसी प्रकार बिना पढ़ाई के कोई भी इंसान आगे नहीं बढ़ सकता है। बच्चों के लिए जितनी जरुरत ग्लैमर है, उससे कहीं ज्यादा पढ़ाई।
आई गृहग्राम का याद
इंडियन आइडल चैंप पहली बार भिलाई आए थे। उनको भिलाई की हरियाली को देखकर अपने गृहग्राम धनवाद की याद आ गई। चैंग कहते हैं कि जब मैं छोटा था, तो पढ़ाई के सिलसिले में अक्सर बाहर ही रहता था, जिसके कारण गांव का जो आनंद होता है, उससे मैं खुद को दूर रखा। चैंग कहते हैं कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है। उसी प्रकार गांव के माहौल से मैं भले ही दूर रहा, लेकिन जहां मुझे रहना चाहिए था, आज मैं वहां पर हूं।
जो करेगा वोटिंग, उसको ही बोलने का अधिकर
चैंप जब बैंग्लुरू में डायटिसियन की पढ़ाई कर रहे थे, तब से वह अपने कंधे पर 'मेरा नेता चोर हैÓ का टैग लगाकर घूम रहे हैं। बातचीत के दौरान जब उसके बारे में पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि इस टैग की बहुत ही लम्बी कहानी हैं। उस दौरान उन्होंने कहा कि अभी राजनीति में कोई भी सही राजनेता नहीं, जिसके चलते वह टैग लगाकर चल रहे हैं। चैंप एक बार भी वोटिंग नहीं किए हैं। उन्होंने कहा कि जिस दिन देश की कमान अच्छे राजनेताओं के हाथ में आ जाएगी, उस दिन वे अपने कंधे से टैग को उतार देंगे। नहीं तो ता उम्र कंधे पर लगाए घूमते रहेंगे।
मिलेगा मौका, तो गाऊंगा
चैंग और अंकिता को भले ही छत्तीसगढ़ी बोली के बारे में कुछ नॉलेज नहीं हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि अगर आने वाले समय में छत्तीसगढ़ी फिल्मों में गाने का अवसर मिला, तो जरूर उस अवसर को नहीं खोएंगे।

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