गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

अभिनय किसी परिचय का मोहताज नहीं

बिहार इप्टा के कार्यकारी अध्यक्ष सीताराम सेन से शेखर झा की खास बातचीत :-
अभिनय को न ही कोई खरीद पाया है और न कभी खरीद पाएगा। वैसे भी अभिनय किसी परिचय का मोहताज नहीं होता है। ऐसा मानना बिहार इप्टा के कार्यकारी अध्यक्ष सीताराम सेन का है। वे इप्टा से १९७० से जुड़े हुए हैं। जब भारतीय जन नाट्य संघ(इप्टा) का बिहार में पुनर्गठन हुआ था। शेखर झा से चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि बॉलीवुड में अब वह दौर खत्म हो चुका है, जब अभिनेता अपने अभिनय को लेकर पूरे देश के लोगों के जूवां पर छाए रहते थे। अभी जितने भी नए कलाकारों का प्रवेश हुआ है, उसमें से बहुत कम ही कलाकारों को अभिनय की
जानकारी है। बॉलीवुड में जितने भी पुराने कलाकारों का नाम जाना जाता है, वह सिर्फ और सिर्फ उनके अभिनय को लेकर ही लोग जानते हैं। सेन अपनी आंखों से भले देख नहीं सकते हैं, लेकिन किसी को कोई आभास तक नहीं होता है, कि वे देख नहीं सकते। उन्हें रंगकर्मी के साथ अच्छे गायक के नाम से देश में जाना जाता है। उनके द्वारा गाए गए गीतों को अधिकतर लोग पसंद करते हैं। सेन ने इप्टा के लिए लोकगीत, जनगीत, ट्रेडिशन सॉग व अन्य गाने गाए हैं। सेन का कहना है कि बात बॉलीवुड की करें, तो अभिनेता अपने अभिनय को बेचते हैं। नए कलाकार हर समय लोगों के जूवां पर छाए रहने के लिए क्या से क्या नहीं करते। बॉलीवुड के जितने भी पुराने कलाकर थे, वे अपने अच्छे अभिनय से लोगों में छाए रहते थे।
सरकार से कोई मदद नहीं - इप्टा दुनिया का सबसे बड़ा थिएटर एसोसिएशन है। जिसमें हरके कलाकारों को अभिनय के बारे में जानकारी दी जाती है, लेकिन सरकार की ओर से कोई मदद नहीं की जाती है। सेन ने कहा कि यंगस्टर्स को कला के क्षेत्र में आगे बढऩे के लिए सरकार की ओर से न तो कोई मदद मिलती है और न कोई योजना शुरू है।
मनाते हैं बापू की जयंती - पूरे देश में ३० जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि मनाई जाती है। इससे भला इप्टा के कलाकार कैसे दूर रह सकते हैं। सीताराम ने बताया कि इप्टा के कलाकार पिछले कई सालों से गांधी मैदान पटना में एक जगह जुटकर 'हे राम बापू को बिहारीजन का सलाम, कार्यक्रम आयोजित करते हैं। इसमें देश के बड़े नेताओं से लेकर प्रसिद्ध अभिनेता भी शामिल होने आते हैं।

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