रविवार, 11 मार्च 2012

किचन बजट पर देना होगा ध्यान

केन्द्रीय बजट से पहले महिलाओं ने जाहिर की अपनी अपेक्षाएं
दिनों दिन बढ़ रही महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ दी है। महंगाई के चलते लोगों को बजट से कोई खास उम्मीद अब नहीं रहती है। बजट चाहे केन्द्र का हो या फिर राज्य का, लोग महंगाई के चलते बजट को लेकर कुछ कहने की स्थिति में नहीं रहते। शुक्रवार को शेखर झा ने शहर की गृहिणी से आगामी केंद्रीय बजट को लेकर बात-चीत की। इस दौरान किसी ने मंहगाई कम करने पर जोर दिया तो किसी ने हाउसिंग लोन के टैक्स, गैस के दाम कम करने की बात कही। महिलाओं का कहना है कि किसी भी सामान के दाम में सरकार वृद्धि करती है, तो एक बार कर दे। सामानों के दामों में बार-बार वृद्धि होने से घर का बजट बिगड़ जाता है।
महीने का बिगड़ता है बजट
चाहे केन्द्रीय बजट हो या फिर राज्य बजट किसी से भी आम लोगों को राहत नहीं मिलती है। दिनोंदिन बढ़ रही महंगाई ने लोगों को परेशानी में डाल दिया है। कुछ दिनों में फिर से गैस के दाम बढऩे के संकेत मिल रहे हैं। बजट से गैस, पेट्रोल व दैनिक उपयोगी सामानों के दाम कम होने चाहिए, ताकि आम लोगों को राहत मिल सके।
- अनुजा अग्रवाल, गृहणी
गल्र्स चाइल्ड को मिले शिक्षा
बजट में तो सभी वर्ग के लोगों के लिए कुछ न कुछ होता है। वर्तमान की बात करें, तो लोग कहां से कहां पहुंच गए, लेकिन गरीब तबके के लोगों को अभी भी उचित शिक्षा नहीं मिल रही है। इस केन्द्रीय बजट में कुछ ऐसी होना चाहिए कि गरीब व असहाय गल्र्स चाइल्ड के लिए शिक्षा की समुचित व्यवस्था हो सके।
- लतिका राजन, गृहणी
कम होने चाहिए पेट्रोल के दाम
एक महीने में पेट्रोल के दो बार दाम बढऩे से अनुमान लगाया जा सकता है कि बजट से लोगों को क्या फायदा होगा। जब तक सरकार पेट्रोल के दामों पर अंकुश नहीं लगाएगी, तब तक सामानों के दामों में कमी नहीं आ सकती है। इसलिए इस बार के केन्द्रीय बजट में कम से कम सरकार को दैनिक उपयोगी सामानों के साथ पेट्रोल के दाम कम करने चाहिए।
- सुचित्रा शर्मा, गृहणी
गैस का दाम हो कम
दिनों दिन सामानों के रेट में बढ़ोत्तरी होने से किचन का बजट बिगड़ जाता है। केन्द्रीय बजट से यही आशा है कि सरकार जो कुछ भी करे, वह आम जनता को ध्यान में रखकर करे। पिछले दिनों गैस के दाम में वृद्धि हुई थी और आने वाले दिनों में भी गैस के दाम में वृद्धि होने की खबर है। इससे परेशानी और बढ़ जाएगी।
- रमा भट्ट, गृहणी
बजट से लोगों को मिले राहत
अगर मार्केट में किसी भी सामान का रेट बढ़ता है, तो उसका असर किचन के बजट पर पड़ता है। इसलिए केन्द्रीय बजट में किचन संबंधित सामानों के रेट कम होने चाहिए। आए दिन सामानों के दामों में वृद्धि होती रहती है। जिसका खमियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है।
- कविता बंसल, गृहणी

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