शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011


शेखर झा
राज्य के कलाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए टाटा स्टील के द्वारा चार दिवसीय ‘आर्ट इन इंडस्ट्री’ का आयोजन किया गया। इस प्रदर्शनी में नागपुर, जमशेदपुर, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, बैंग्लोर के अलावा छत्तीसगढ़ के भी विभिन्न जिलों के कलाकारों नें भाग लिया। किसी ने अपने चित्र में शांति का संदेश दिया, किसी ने पर्यटन स्थलों को दर्शाया। कौन कहता है कि पेंटिंग्स नहीं बोलती, कलाकारों के द्वारा बनाए गए हर चित्र कुछ कहते नजर आए। प्रदर्शनी में 25 कलाकारों के द्वारा विगत तीन दिनों में बनाई पेंटिंग्स का प्रदर्शन किया गया। पेंटिंग्स देखने के लिए कलाप्रेमी सहित स्कूल, कॉलेज के स्टूडेंट्स भी पहुंचे। उल्लेखनीय है कि टाटा स्टील द्वारा कला एवं कलाकारों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से ये अनूठी पहल की गई। महंत घासीदास मेमोरियल म्यूजियम में कलाकारों के चित्रों का प्रदर्शन किया गया।
पेंटिंग्स में पर्यटन स्थल
नक्सलियों के खौफ से लोग तीर्थगढ़, चित्रकूट के अलावा नक्सल प्रभावित इलाकों में आने वाले पर्यटन स्थल जाने से डरने लगे हैं। जगदलपुर के कलाकार विजय विश्वकर्मा ने अपनी पेंटिंग में तीर्थगढ़ को बनाया। उन्होंने अपने चित्र में दर्शाया कि देश में छत्तीसगढ़ को पर्यटन स्थल की वजह से ही जाना जाता है। यहां पर पिछले कुछ सालों से पर्यटक नक्सलियों के डर से आना कम कर दिए हैं। उन्होंने अपनी पेंटिंग में झील के पास एक भोली-सी लड़की की पेंटिंग का चित्रण किया। उस पेंटिंग्स से उन्होनें लोगों को बताना चाहा कि बस्तर के लोग कितने भोले हैं। श्री विश्वकर्मा पूर्व में नागपुर, जमशेदपुर, भोपाल, रायपुर व अन्य जगहों में अपनी पेंटिंग्स की प्रदर्शनी लगा चुके हंै।
शौक के चलते बना चित्रकार
जमशेदपुर के कलाकार अर्जुन दास ने बताया कि मुझे पेंटिंग्स बनाने का शौक बचपन से है। जब मैं कक्षा तीसरी कक्षा में पढ़ता था तबसे ही मैंने चित्र बनाना शुरू कर दिया था। उनहोंने बताया कि प्रदर्शनी में मैंने तीन पेंटिंग्स को प्रदर्शन के लिए रखा है। इनमें से एक गौतम बुद्ध की पेंटिंग्स भी थी। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में लोगों छोटी-छोटी बात को लेकर झगड़ना शुरू कर देते हैं। लोगों को इस पेंटिंग्स के द्वारा बताया गया कि हमेशा शांत रहना चाहिए, कोई भी काम करना हो तो शांति से करना चाहिए।
सफल व्यक्ति के पीछे कोई महिला
किसी भी व्यक्ति की सफलता का श्रेय उससे पीछे खड़ी किसी महिला को ही जाता है। वो आपकी पत्नी, मां, बेटी, प्रेमिका कोई भी हो सकती है। भुवनेश्वर से आए मानस रंजन ने अपने चित्र में कुछ इस तरह का ही चित्रांकन किया था। उन्होने अपने चित्र में एक महिला को किसी का इंतजार करते हुए चित्रित किया। वर्तमान समय में पढ़ाई हो, कोई अन्य क्षेत्र सभी जगह महिलाओं की पहुंच है। पुरूष की अपेक्षा महिला किसी भी काम को अच्छे से कर सकती हंै।
नाचा नृत्य का चित्रांकन
बस्तर से आए पिसारू राम ने अपनी पेंटिंग्स में संस्कृति की झलक दिखाई। पेंटिंग्स में उन्होंने नाचा नृत्य का चित्रांकन किया। उन्होंने बताया कि मैंने 20 साल की उम्र से चित्र बनाना शुरू किया था। अब तक मैंने भोपाल, जमशेदपुर, बैंग्लोर, रायपुर के साथ अन्य जगहों में अपने चित्रों का प्रदर्शन कर चुका हूं।

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