शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011


शेखर झा
राज्य के कलाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए टाटा स्टील के द्वारा चार दिवसीय ‘आर्ट इन इंडस्ट्री’ का आयोजन किया गया। इस प्रदर्शनी में नागपुर, जमशेदपुर, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, बैंग्लोर के अलावा छत्तीसगढ़ के भी विभिन्न जिलों के कलाकारों नें भाग लिया। किसी ने अपने चित्र में शांति का संदेश दिया, किसी ने पर्यटन स्थलों को दर्शाया। कौन कहता है कि पेंटिंग्स नहीं बोलती, कलाकारों के द्वारा बनाए गए हर चित्र कुछ कहते नजर आए। प्रदर्शनी में 25 कलाकारों के द्वारा विगत तीन दिनों में बनाई पेंटिंग्स का प्रदर्शन किया गया। पेंटिंग्स देखने के लिए कलाप्रेमी सहित स्कूल, कॉलेज के स्टूडेंट्स भी पहुंचे। उल्लेखनीय है कि टाटा स्टील द्वारा कला एवं कलाकारों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से ये अनूठी पहल की गई। महंत घासीदास मेमोरियल म्यूजियम में कलाकारों के चित्रों का प्रदर्शन किया गया।
पेंटिंग्स में पर्यटन स्थल
नक्सलियों के खौफ से लोग तीर्थगढ़, चित्रकूट के अलावा नक्सल प्रभावित इलाकों में आने वाले पर्यटन स्थल जाने से डरने लगे हैं। जगदलपुर के कलाकार विजय विश्वकर्मा ने अपनी पेंटिंग में तीर्थगढ़ को बनाया। उन्होंने अपने चित्र में दर्शाया कि देश में छत्तीसगढ़ को पर्यटन स्थल की वजह से ही जाना जाता है। यहां पर पिछले कुछ सालों से पर्यटक नक्सलियों के डर से आना कम कर दिए हैं। उन्होंने अपनी पेंटिंग में झील के पास एक भोली-सी लड़की की पेंटिंग का चित्रण किया। उस पेंटिंग्स से उन्होनें लोगों को बताना चाहा कि बस्तर के लोग कितने भोले हैं। श्री विश्वकर्मा पूर्व में नागपुर, जमशेदपुर, भोपाल, रायपुर व अन्य जगहों में अपनी पेंटिंग्स की प्रदर्शनी लगा चुके हंै।
शौक के चलते बना चित्रकार
जमशेदपुर के कलाकार अर्जुन दास ने बताया कि मुझे पेंटिंग्स बनाने का शौक बचपन से है। जब मैं कक्षा तीसरी कक्षा में पढ़ता था तबसे ही मैंने चित्र बनाना शुरू कर दिया था। उनहोंने बताया कि प्रदर्शनी में मैंने तीन पेंटिंग्स को प्रदर्शन के लिए रखा है। इनमें से एक गौतम बुद्ध की पेंटिंग्स भी थी। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में लोगों छोटी-छोटी बात को लेकर झगड़ना शुरू कर देते हैं। लोगों को इस पेंटिंग्स के द्वारा बताया गया कि हमेशा शांत रहना चाहिए, कोई भी काम करना हो तो शांति से करना चाहिए।
सफल व्यक्ति के पीछे कोई महिला
किसी भी व्यक्ति की सफलता का श्रेय उससे पीछे खड़ी किसी महिला को ही जाता है। वो आपकी पत्नी, मां, बेटी, प्रेमिका कोई भी हो सकती है। भुवनेश्वर से आए मानस रंजन ने अपने चित्र में कुछ इस तरह का ही चित्रांकन किया था। उन्होने अपने चित्र में एक महिला को किसी का इंतजार करते हुए चित्रित किया। वर्तमान समय में पढ़ाई हो, कोई अन्य क्षेत्र सभी जगह महिलाओं की पहुंच है। पुरूष की अपेक्षा महिला किसी भी काम को अच्छे से कर सकती हंै।
नाचा नृत्य का चित्रांकन
बस्तर से आए पिसारू राम ने अपनी पेंटिंग्स में संस्कृति की झलक दिखाई। पेंटिंग्स में उन्होंने नाचा नृत्य का चित्रांकन किया। उन्होंने बताया कि मैंने 20 साल की उम्र से चित्र बनाना शुरू किया था। अब तक मैंने भोपाल, जमशेदपुर, बैंग्लोर, रायपुर के साथ अन्य जगहों में अपने चित्रों का प्रदर्शन कर चुका हूं।

बचपन से शोक था पेंटिंग्स का



शेखर झा
कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो इंसान सभी कामों को आसानी से कर सकते हैं, बस इंसान को अपने लक्ष्य से भटकना नहीं चाहिए। इंसान को हमेशा अपने लक्ष्य को देखते हुए काम करना चाहिए, इससे उसे सफलता जल्द मिल जाती है। ऐसा ही एक उदाहरण गुरू तेगबहादुर भवन में लगी प्रदर्शनी में देखने को मिला। खजुराहो (एमपी) से आए दिनेश सिंह एक से बढ़कर पेंटिंग्स बनाते हैं। वो मुख्यत: एक्रेलिक, आॅइल मीडियम की पेंटिंग बनाते हैं। इसमें भी उनकी कैनवास पर पकड़ अच्छी होने के साथ वो वेलवेट, कॉटन फेबरिक, पेपर पर भी अपनी कल्पना को आकार देते हैं।
देखकर पेंटिंग्स बनाने का शौक

जब मैं पांचवीं कक्षा में पढ़ाई करता था तबसे मुझे पेंटिंग बनाने का शौक है। मुझे मालूम नहीं था कि मेरी बनाई पेंटिंग्स को एक दिन देश-विदेश में भी सराहा जाएगा। जब मैं हायर सेकेंडरी की पढ़ाई कर रहा था तो शहर में कहीं भी चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता था तो अवश्य देखने जाता था। प्रदर्शनी में दूसरे के द्वारा बनाई पेंटिंग को देखकर मुझे भी शौक होता था कि काश मुझे भी इतनी अच्छी पेंटिंग बनानी आती। बचपन का शौक जुनून में बदल गया। मेरे बनाए चित्रों को देश के साथ विदेशों में भी प्रदर्शन का मौका मिल रहा है। विगत वर्ष कलकत्ता में लगी कारीगर हार्ट में मेरी एक पेंटिंग को पांचवां स्थान और उसके लिए सम्मानित भी किया गया था।
पेंटिंग्स में साइनिंग जरूरी
राधा कृष्ण आर्ट के संचालक दिनेश सिंह ने कैनवास और वेलवेट पर मुगल शैली, राजपूताना शैली का बड़ी खूबसूरती से चित्रांकन किया है। इसके अलावा उन्होंने सीनरी, एनिमल, वर्ड, भगवान के चित्र भी तैयार किए हैं। वहीं वो लोगों के द्वारा बताए गए चित्रों को भी बनाते हैं। इन चित्रों को बनाने के लिए वो स्टोन, कैमल, वैजिटेबल कलर के अलावा अन्य रंगों का भी यूज करते हैं। चित्र में साइनिंग लाने के लिए वो कलर की मैचिंग का ज्ञान भी जरूरी मानते हैं, जिससे चित्रों में साइनिंग आती है।
कई जगह लगा चुके हंै प्रदर्शनी
दिनेश अपनी पेंटिंग्स का प्रदर्शन मुम्बई, हैदराबाद, बैंग्लोर, गोवा, पुणे सहित अन्य मेट्रो सिटी में कर चुके हैं। उनकी पेंटिंग्स की खरीदी अमेरिका, फांस, लंदन, पेरिस जर्मन के लोगों ने भी की है। उन्होंने बताया कि मैंने पचास रुपए से लेकर पचास हजार तक की पेंटिंग बनाई है। इस वक्त उनके पास पचास रुपए से लेकर बीस हजार तक की पेंटिंग्स उपलब्ध हैं।

गुरुवार, 24 फ़रवरी 2011

छत्तीसगढ़ में पत्रकार की गोली मारकर हत्या

छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में अज्ञात हमलावरों ने एक पत्रकार की गोली मारकर हत्या कर दी है। माना जा रहा है कि किसी खास मसले पर खबर लिखने के सिलसिले में यह हत्या की गई है। पुलिस ने बताया कि जिले के छुरा इलाके में रविवार देर रात हिन्दी समाचार पत्र 'नई दुनिया' में काम करने वाले पत्रकार उमेश राजपूत की हत्या कर दी गई।
पुलिस ने बताया कि नकाबपोश हमलावर मोटरसाइकिल से आए और 32 साल के पत्रकार राजपूत के ऊपर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। छुरा पुलिस थाने के प्रभारी पी. एल. उइके ने बताया, हत्यारों ने घटना स्थल पर एक पर्ची छोड़ी है जिसमें एक खबर के बारे में जिक्र किया गया है। ऐसा लग रहा है कि हत्यारे राजपूत के खबर लिखने को लेकर नाराज थे लेकिन हम मामले की अन्य पहलुओं से भी छानबीन कर रहे हैं। इसके पहले भी बिलासपुर शहर में एक 35 साल के पत्रकार सुशील पाठक की अज्ञात लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।

यूपी के एक स्कूल में गाया जाता है 'नया राष्ट्रगान'

उत्तर प्रदेश के आंबेडकर नगर जिले में एक प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट ने अपनी तरफ से राष्ट्रगान में बदलाव कर दिए हैं। यहं बच्चों से यह नया राष्ट्रगान गवाया जा रहा है।
जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर टांडा कस्बे के लॉर्ड बुद्धा आंबेडकर अर्जक मिशन पब्लिक स्कूल के छात्र विद्यालय की सुबह की प्राथर्ना में रोज ' संशोधित ' राष्ट्रगान गाते हैं। कुछ सप्ताह पहले विद्यालय के प्रबंधक रघुनाथ सिंह ने राष्ट्रगान की कुछ पंक्तियों के शब्दों को बदल दिया। तब से यह सिलसिला जारी है। गौरतलब है कि बुनियादी शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त कक्षा पांच तक के इस स्कूल में 400 छात्र हैं।
छात्रों द्वारा प्राथर्ना में गाए जा रहे संशोधित राष्ट्रगान की दूसरी पंक्ति में उल्लिखित 'अधिनायक' शब्द की जगह ' उत्प्रेरक ' शब्द गाया जा रहा है। इसी तरह तीसरी पंक्ति के शब्द 'भारत भाग्य विधाता' के बदले 'स्वर्णिम भारत निर्माता' गाया जा रहा है। 'तव शुभ आशीष मांगे' को 'तब शुभ कामना मांगे' गाया जा रहा है। रघुनाथ सिंह ने सोमवार को यहां संवाददाताओं से कहा, ' अधिनायक शब्द राजा को संबोधन के लिए था। अब हम स्वतंत्र हैं। लोकतंत्र में ' अधिनायक ' शब्द का कोई मतलब नहीं है। ' सिंह ने कहा कि ' यह राष्ट्रगान पहली बार ब्रिटिश शासक जार्ज पंचम के स्वागत में गाया गया था। मेरे विचार में राष्ट्रगान की कई पंक्तियां राजा का यशोगान करती हैं। इसलिए मैंने उन्हें बदल दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि राष्ट्रगान में संशोधन करने के पीछे उनका मकसद देश के लोगों की भावनाओं को आहत करना नहीं है। वह स्वयं एक भारतीय हैं, इसलिए वह ऐसा सोच भी नहीं सकते। इस बारे में पूछे जाने पर जिला बुनियादी शिक्षा अधिकारी (बीएसए) राकेश कुमार ने बताया कि यह मामला उनकी जानकारी में पहले से है। उन्होंने कहा,मैंने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। इस स्कूल की मान्यता रद्द करके प्रबंधन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। '

आनंद को सम्मानित...

तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) में प्रवेश के लिए बिहार में कमजोर तबके के छात्रों को मुफ्त शिक्षा मुहैया कराने वाले कोचिंग सेंटर ' सुपर 30 ' के संस्थापक और गणितज्ञ आनंद कुमार को शनिवार को सम्मानित करेंगे।
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित दलाई लामा मुम्बई में एक संस्था ' बिहार फाउंडेशन के मुम्बई चेप्टर ' द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में आनंद को सम्मानित करेंगे। ' बिहार फाउंडेशन ' की प्रवक्ता रागिनी गौतम ने बताया, ' आनंद ने समाज के कमजोर तबके के छात्रों को आईआईटी पहुंचाकर उनके जीवन स्तर में बड़ा बदलाव लाया है। हमने उन्हें कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया है। दलाई लामा उन्हें एक स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित करेंगे। फाउंडेशन की स्थापना बिहार सरकार की मदद से वर्ष 2008 में की गई थी और विदेशों में इसकी कुल सात शाखाएं हैं। उन्होंने बताया कि दलाई लामा पहली बार पश्चिमी भारत, बिहार और बौद्ध के नए संबंध को लेकर व्याखान देंगे। सम्मान से बेहद खुश आनंद ने कहा, ' दलाई लामा एक आध्यात्मिक नेता हैं। उनके आशीर्वाद से मेरे काम में और मदद मिलेगी। ऐसे पुरस्कारों से मुझे प्रेरणा मिलती है , लेकिन समाज के प्रति दायित्व भी बढ़ जाता है। गौरतलब है कि आनंद पैसे के अभाव में पढ़ाई के लिए कैंब्रिज नहीं जा सके थे और उन्होंने वर्ष 1992 में ' रामानुजम स्कूल आॅफ मैथमेटिक्स ' से अध्यापन शुरू किया था। बाद में आनंद ने वर्ष 2002 में ' सुपर 30 ' की स्थापना की थी। पिछले आठ सालों में ' सुपर 30 ' की कारगर पहल और मेहनत की बदौलत 212 छात्रों को आईआईटी में प्रवेश मिल चुका है। पिछले तीन सालों से कोचिंग सेंटर के सभी 30 छात्र प्रौद्योगिकी संस्थानों में प्रवेश पाने में कामयाब हो रहे हैं। पिछले साल अमेरिकी पत्रिका ' टाइम ' ने आनंद को ' बेस्ट आॅफ द एशिया ' घोषित किया था, वहीं पत्रिका 'न्यूजवीक' ने ' सुपर 30 ' को दुनिया के चार प्रयोगधर्मी विद्यालयों में शामिल किया है। इसके अलावा मुकेश अंबानी ने वर्ष 2007 में इन्हें ' रीयल हीरो अवार्ड ' से नवाजा था।

मंगलवार, 22 फ़रवरी 2011

अंधेरे के बाद उजाला है...

अंधेरे के बाद उजाला है इसलिए अंधेरे से घबराओ मत, निरंतर आगे बढ़ते चलो। यदि तुम्हारे आदर्श सही हैं, तुम्हारी सोच सही है तो तुम्हारे प्रयास एक न एक दिन जरूर सफल होंगे... इन लाइन को याद करते हुए हिना यास्मीन खान की आंखें भर आती हैं। वो स्वयं को संभलते हुए कहती हैं कि ये इनकी कुछ ऐसी पंक्तियां थीं जिन्हें अक्सर ये दोहराते रहते थे। मुझे क्या पता था कि एक दिन ये पंक्तियां मेरे जीवन को संबल प्रदान करने में मददगार बनेंगी। ये कहना शहीद पुलिस निरीक्षक स्वर्गीय श्री अब्दुल वहीद खान की पत्नी हिना यास्मीन खान का है। डेढ़ साल पहले नक्सली हमले में शहीद हुए श्री खान के जाने के बाद वो सिंगल पैरेंट्स की भूमिका का बखूबी निवर्हन कर रही हैं। श्रीमती हिना की तरह ही अन्य शहीद पुलिस जवानों की विधवाओं और उनके परिवारजनों को जहां अपने पति, बेटे और भाई की शहादत पर गर्व है वहीं अपने किसी अजीज की ताउम्र जुदाई का दंश समय-समय पर उन्हें बिलखने को मजबूर कर देता है।
शेखर झा
बच्चों के सामने रोना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि उनके सामने रोना यानि कि स्वयं को कमजोर साबित करना और उन्हें उनके पिता की याद दिलाना। इसलिए मैं अकेले में या जब बच्चे सो जाते हैं तो रो लिया करती हूं मगर बच्चों के सामने खुद के दुख का अंदाजा नहीं होने देती। छलकते आंसुओं के रूप में ये पीड़ा उन शहीद पुलिस जवानों की विधवाओं और परिवारजनों की आंखों में साफ झलक रही थी, जो अपने पति और परिवार के सदस्य को नक्सली हमले की घटनाओं में खो चुके हैं। इन शहीदों की शहादत पर जहां इनके परिवारवालों को गर्व है वहीं इन्हें खोने का दर्द घर के सदस्यों को इतना ज्यादा है जिसकी पूर्ति ताउम्र किसी भी रूप से नहीं की जा सकती है। वहीं शहीदों की पत्नियां स्वयं को संभलकर अपने और अपने बच्चों के लिए माता-पिता दोनों की भूमिका निभा रही हैं। बतौर सिंगल पैरेंट्स ये अपने शहीद पति और बच्चों के ख्वाब पूरे करने में अपनी ओर से निरंतर कोशिश करने में लगी हुई हैं।
क्वालिटी टाइम एहसास के रूप में
किसी भी शहीद की विधवा के लिए उसके पति की शहादत गर्व का अहसास तो कराती है मगर उनके खोने का गम चाहे कोई अधिकारी हो या कोई सिपाही उसके परिवारवालों के लिए बराबर ही होता है । ये कहना राजनांदगाव में शहीद पुलिस अधीक्षक स्वर्गीय विनोद कुमार चौबे की धर्मपत्नी रंजना चौबे का है। उल्लेखनीय है कि श्री चौबे वर्ष 2009 में जिले में ही ग्राम मदनवाड़ा और सीतागांव के पास नक्सल हमले की घटनाओं में शहीद हुए थे। श्रीमती चौबे कहती हैं कि आज वो मेरे साथ नहीं मगर उनके साथ बिताया हुआ क्वालिटी टाइम एक एहसास के रूप में मेरे साथ है। जब भी मैं स्वयं को कमजोर पाती हूं तो इनकी याद मुझे एक पॉजीटिव एनर्जी का एहसास दिलाती है। नक्सलवाद की समस्या के लिए लोगों के भय को जिम्मेदार मानते हुए श्रीमती चौबे कहती हैं कि आज भी ग्रामीण जनता में नक्सली लोगों के प्रति भय उन्हें उनकी मदद करने के लिए प्रेरित करता है। इसलिए लोगों को भयमुक्त होकर पुलिस प्रशासन को नक्सलियों को खत्म करने में सहयोग देना चाहिए। जहां ग्रामीण लोग भय के चलते वहीं पढ़े-लिखे लोगों अपने पुराने सिंद्धातों पर टिके रहने की भावना के चलते ऐसे लोगों को सहयोग देते हैं। विनायक सेन के संदर्भ में बोलते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग मानवाधिकार की बात करके राष्ट्रद्रोह कर रहे हैं वो वास्तिवकता से काफी दूर हैं। यदि उन्हें जरूरतमंद लोगों के लिए कुछ करना है तो उन्हें जन-प्रतिनिधि बनकर जनता की मदद करना चाहिए। संविधान में रहकर कार्य करना चाहिए। स्वर्गीय चौबे के पुत्र सौमिल चौबे के लिए भी अपने पिता के कार्य के प्रति समर्पण के भव उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। इसके साथ ही उनकी लीडरशिप क्वालिटी का भी मैं अपने जीवन में अनुशरण करना चाहता हूं।
हाउसवाइफ से अधिकारी पद तक
जो कार्य पुरुष के होते हैं वो यदि कोई महिला करें तो मुश्किल तो आती ही है खासतौर पर जो महिला प्योर हाउसवाइफ हो। ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ। हाउसवाइफ से कलेक्ट्रेट में सहायक जिला अभीयोजन अधिकारी तक का सफर तय करना वाकई बहुत मुश्किल था। हिना यास्मीन खान कहती हैं कि अगर परिवार, सोसाइटी के सहयोग की बात करें तो सहानभूति देने वालों की कमी नहीं थी। किंतु ऐसी स्थिति से उबरकर दोबारा खुद को और बच्चों को संभलना मुझे ही था। हालांकि एक पुलिसवाले की बीवी होने के नाते इन्होंने मुझे हमेशा मेंटली रूप से इस चींज के लिए प्रिपेयर करके रखा था कि कल को यदि किसी मोड़ पर जब वो न होंगे तो मुझे ही सबकुछ संभलना होगा। जब ये शहीद हुए उस वक्त मेरे दोनों बेटे अमन और यासर खान बारहवीं कक्षा में पढ़ रहे थे। इनकी दिली इच्छा थी कि दोनों बच्चे आईआईटी करके आईपीएस करें तो उनका एक ख्वाहिश तो पूरी हो गई है। बड़ा बेटा अमन इसरो में और छोटा यासर मुबंई आईआईटी से मेकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है।
भाई की काफी याद आती है
मदनवाड़ व सीतापुर के पास वर्ष 2009 में पुलिस नक्सली मुठभेड़ में ही शहीद हुए प्रधान पुलिस आरक्षक संजय यादव के भाई सुनील यादव बताते हैं कि राज्य सरकार की ओर से समय-समय पर मदद मिलती रहती है। भईया के शहीद होने के बाद मुझे कुछ दिनों तक विश्वास ही नहीं हो रहा था कि भईया सदा के लिए हमें छोड़कर चले गए हैं। भईया के गुजरने के बाद भी अपने बच्चे के साथ मायके मे रहने लगीं। जब भईया थे तो वो ही पूरे परिवार को चलाते थे। उनके गुजर जाने के बाद घर की स्थिति काफ ी नाजुक हो गई थी। उस वक्त मैंने और पापा ने नौकरी करना शुरु की। सुनील का कहना है कि नक्सलवाद के खात्मे के लिए के न्द्र व राज्य सरकार की तरफ से ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। ऐसा जब तक नहीं होगा तब तक न जानें कितने ही जवानों को अपनी जान की कुर्बानी देनी पड़ेगी। शहीद संजय की मां श्यामाबाई डबडबाती आंखों से कहती हैं कि संजय हमारे घर का चिराग था। बेटे के गुजरने के बाद तो जैसे घर से रौनक ही गायब हो गई। मेरा बेटा मरा नहीं है अपने देश के लिए शहीद हुआ है। वर्तमान समय के सभी नवयुवकों को भी देश की सुरक्षा में अपना योगदान देना चाहिए।
घर का पूरा मेरे कंधे पर
20 फरवरी 2000 को नारायणपुर के बकूलवाही में पदस्थ एडिशनल एसपी भास्कर दिवान की धर्मपत्नी रेखा भास्कर ने बताया कि इनके गुजरने के बाद मुझे काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इनके गुजरने के बाद घर की पूरी जिम्मेदारी मेरे कंधों पर आ गई। जब मेरे पति शहीद हुए तब मेरा बेटा तीसरी कक्षा में पढ़ रहा था। वर्तमान समय में मेरा लड़का बीटीआई रायपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है। पति के गुजरने के बाद घर व बच्चे की पढ़ाई के लिए मैंने नौकरी करना शुरु की। वर्तमान में मैं डिग्री गर्ल्स कॉलेज में प्रोफेसर पद पर पदरत हूं। कम उम्र में पिता का साया बच्चे के सिर से हट गया था, ऐसे में मैंने अपने बच्चे को माता-पिता दोनों का प्यार दिया। श्रीमती दीवान कहती हैं कि मैंने काफी अपने बच्चे को ये महसूस नहीं होने दिया कि उसके पापा नहीं है। उनके गुजरने के बाद मेरा जो कुछ था वो बस मेरा बेटा ही था। इनकी ख्वाहिश थी कि उनका बेटा पढ़-लिखकर खूब नाम कमाएं। ये हमेशा कहां करते थे कि सत्य भले ही परेशान करता हो, मगर हारता नहीं है। जो भी काम करें ईमानदारी और निष्ठा के साथ करें।







रविवार, 20 फ़रवरी 2011

ऐसी दीवानगी देखी नहीं कहीं, साइकल से ढाका पहुंचे सुधीर


शिवेन्द्र कुमार सिंह \ शेखर झा
जिसकी सचिन तेंडुलकर के घर में सीधी एंट्री हो, जिसे सामने देखते ही हरभजन गले लिपट जाते हों और जिसे भारतीय क्रिक्रेट टीम का हर खिलाड़ी नाम से ही नहीं भला उस शख्स को आप क्या मानते है? लेकिन नहीं वो न तो किसी बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनी के मार्केटिंग विभाग से है और न ही किसी बड़ी विज्ञापन एजेंसी का मालिक । इनका नाम है सुधीर, रहने वाले मुजफ्फरपुर(बिहार) के और पहचान क्रिकेट को लेकर दीवानगी।
विश्वकप की शुरूवात से पहले ही सुधीर ढाका पहुंच गए। वो भी सड़क के रास्ते करीब हजार किलामीटर साइकल चलाकर। वे कहते है इस बार मुझे ढाका पहुंचने में कोई परेशानी नहीं हुई, क्योकि में 2007 में यहां आया था। इस बार मुझे रास्तों की जानकारी थी। लिहाजा शहर के भीतर भी मैं कहीं भटका नहीं। इस बार पटना होते हुए आया सो एक दिन ज्यादा लग गया, पिछली बार आठ दिन में पहुंचा था। तिरंगे में रंगा शरीर सिर पर बालों की तिरंगे जैसी कटिंग, हाथ में बड़ा सा लहराता तिरंगा और गाहे बगाहे गूंजते वाला शंख। क्रिकेट के मैदान में शंख क्यो? इसका जवाब सुधीर यूं देते है, इस महाकुंभ में सचिन का सपना है कि विश्वकप अपना हो। मैं इसलिए रास्ते में पड़ने वाले कई मंदिरो में शंख बजाकर उनके सपने के पूरे होने की दुआ मांगता आया हूं। मेरी तो ये भी दुआ है कि सचिन इस विश्व कप में शतकों का शतक पूरा करें।
एशियाई देशों में जहां भी भारतीय क्रिकेट टीम मैच खेलती है, लगभग हर जगह सुधीर हो आए है। इस बार ढाका आने से पहले उन्होंने गुजरात की एक कोल्ड ड्रिंक कंपनी, फिर पुणे और जोधपुर में नौकरियां कर 48 सौ रुपए जुटाए। सचिन मिलते है तो उनको अक्सर अर्थिक मदद की पेशकश करते है, हरभजन और दूसरे खिलाड़ी भी पैसे देना चाहते है, लेकिन सुधीर को क्रिकेट से मोहब्बत है, पैसे से नहीं।

अब स्टेडियम में नियमित मैच देखने वाले उन्हें तकरीगन सारे लोग पहचाने लगे है, लेकिन शुरू के दिनों को याद करके सुधीर अब भी सहम जाते है। घर वालों को लगा कि लड़का पागल हो गया है। न घर की फ्रि क न घर बसाने क ा। अपने इस जुनून के चक्कर में उन्हें कई बार पुलिस के गुस्से का भी शिकर होना पड़ा है। हाल ही में न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच में हरभजन के शतक के बाद मैदान में घुसने पर पुलिस उन्हें पकड़ ले गई थी। बाद में बीसीसीआई के एक अधिकारी के कहने पर पुलिस ने सुधीर को छोड़ा। सुधीर मानते है कि उनकी क्रिकेट के दर्शकों के बीच पहचान सचिन की वजह से ही बनी है, लेकिन इसका जिक्र छिड़ने पर वे ये जरुर बताते है कि सचिन को उनके यहां की लीची बहुत पसंद है।

बुधवार, 16 फ़रवरी 2011

महंगाई खाए जात है ...

शेखर झा
वर्तमान समय में दिनों-दिन जिस तरह से सभी चीजों के दाम में वृद्धि हो रही है, बढ़ती महंगाई और वेतन कम वाले किस तरह एडजस्ट कर पाते हैं, ये सब ग्यारहवीं क्लास के स्टूडेंट्स ने बहुचर्चित फिल्म ‘पीपली लाइव’ के गाने महंगाई डायन खाए जात के माध्यम से डांस करके प्रदर्शित करके दिखाया। मौका था शंकरनगर स्थित विद्या मंदिर उच्च्तर माध्यमिक विद्यालय में वार्षिकोत्सव कार्यक्रम के आयोजन का। कार्यक्रम का आयोजन स्कूल प्रांगण में ही किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में विधायक कुलदीप सिंह जुनेजा, नगर निगम के सभापति संजय श्रीवास्तव, शालेय समिति के उपाध्यक राजनाथ टण्डन, सचिव केयू पुरुषोतम उपस्थित थे। कार्यक्रम में स्टूडेंट्स के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विगत दिनों स्कूल में हुए कार्यक्रम में प्रथम आने वाले, खेलकूद में विजयी रहे व पढ़ाई में अच्छे अंक लाने वाले स्टूडेंट्स को पुरस्कार देकर पुरस्कृत किया गया। 26 स्टूडेंट्स पुरस्कृत
कार्यक्रम के दौरान श्री श्रीवास्तव ने अपने उद्बोधन में आधुनिक शिक्षा प्रणाली पर जोर देते हुए कहा कि सभी शिक्षकों को भी उपरोक्त प्रणाली के अनुरुप अपने को अपडेट करना चाहिए। स्टूडेंट्स को पूरी लगन, मेहनत एवं ईमानदारी से पढ़ाई करते हुए कहीं भी अच्छे पद पर पदरत होकर समाज की सेवा करना चाहिए। पुरस्कार वितरण में कुल 26 स्टूडेंट्स को पुरस्कार दिया गया।
छत्तीसगढ़ी गानों पर हुआ नृत्य
कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो उसक ो कोई भी मुश्किल नहीं रोक सकती। स्टूडेंट्स चाहे तो किसी भी चीज में अपनी काबलियत सिद्ध कर सकते हैं चाहे वो पढ़ाई हो या खेलकूद। कार्यक्रम में ग्यारहवीं कक्षा के स्टूडेंट बलराम बाग ने इस महंगाई वाले जमाने में गरीब स्टूडेंट्स अपनी पढ़ाई किस तरह पूरी कर पाते हैं, उसको व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि कई गरीब स्टूडेंट्स पढ़ाई में अच्छे हंै मगर अच्छी संस्था में एडमिशन नहीं ले पाते। इनके द्वारा किए गए परफार्म को देखकर उपस्थित लोगों ने खूब तालियां बजार्इं। वहीं कक्षा ग्यारहवीं के स्टूडेंट्स ने छत्तीसगढ़ी गानों पर भी डांस किया।
कभी छत्तीसगढ़ी गीतों की धूम मची, कभी राजस्थानी, कभी गुजराती गरबा की धुन पर स्टूडेंट थिरकते रहे। इस कार्यक्रम में काफी स्टूडेंट्स ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। किसी ने क्लासीकल डांस किया, किसी ने वेस्टर्न तो किसी ने हिप-हॉप गाने पर डांस कर तालियां बंटोरीं। ये दृश्य सोनकर समाज द्वारा संचालित लाखे नगर स्थित बिंद्रा सोनकर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सहित अन्य स्कूलों में भी मंगलवार को आयोजित हुए वार्षिकोत्सव के दौरान देखने को मिला। इस मौके पर सभी स्कूल का माहौल खुशमय दिखाई दिया। चक दे इंडिया
स्कू ल में आयोजित इस वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में सभी स्टूडेंट्स ने जमकर धमाल मचाया। किसी ने पप्पू कांट डांस साला...गाने पर पप्पू को डांस कराया, किसी ने पंजाबी ढोल की धुन पर भांगड़ा कर अपने साथ लोगों को भी नाचने पर मजबूर कर दिया। इसके साथ ही कार्यक्रम में सृष्टि सोनकर अपनी 1२ सदस्यीय हॉकी टीम के साथ चक दे, ओ चक दे इंडिया.. गाने पर स्टेज में हॉकी खेलते हुए दिखाई दीं। प्रज्ञा एवं साथियों ने झूठ बोले कौवा काटे...गीत पर डांस किया तो नेहा और मेघा ने वो किसना है...गाने पर युगल नृत्य की प्रस्तुति दी। कविता एंड ग्रुप ने राधा का रुप धारण कर मैय्या यशोदा ये तेरा कन्हैया... गाने पर शानदार डांस की प्रस्तुति दी।
वेलकम डांस से की शुरुआत
डीडीनगर स्थित सीडलिंग्स स्कू ल में भी मंगलवार को वार्षिकोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में नर्सरी के बच्चों के द्वारा वेलकम डांस प्रस्तुत कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम में नर्सरी से लेकर क्लास पीपीटू के स्टूडेंट्स ने भाग लिया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में डॉ. सुधीर शुक्ला, माइल स्टॉन स्कूल भिलाई की डाइरेक्टर ममता शुक्ला उपस्थित रहीं। वर्षभर हुए आयोजित हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम के,अच्छे मार्क प्राप्त करने वाले व स्पोर्टस में विनर रहे स्टूडेंट्स को मुख्यअतिथि के हाथों पुरस्कृत किया गया। वहीं कार्यक्रम में स्कूल के प्राचार्य के साथ अन्य शिक्षक भी उपस्थित रहे।
फेमस गानों पर हुआ डांस
नए और पुराने गानों से पूरा कैंपस गूंज रहा था मौका था सतत सुदंरी कालीबाड़ी उच्चतर माध्यमिक स्कूल में आयोजित वार्षिकोत्सव कार्यक्रम का। कार्यक्रम के दौरान स्कूल के सभी स्टूडेंट्स ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। कार्यक्रम में स्टूडेंट्स के लिए सोलो, ग्रुप डांस, एकल गायन, फैंसी ड्रेस का आयोजन किया गया। स्कूल के द्वारा आयोजित कार्यक्रम को कालीबाड़ी स्थित रविंद्र मंच में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में स्टूडेंट्स के द्वारा दूसरे राज्यों के प्रसिद्ध गानों पर डांस किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में कालीबाड़ी समिति के अध्यक्ष आरके बेनर्जी, शाला के सेक्रे टरी तन्मय चटर्जी, अनमोल डे व स्कूल की प्राचार्य एस बोस उपस्थित रहे।
एंज्वॉय करने का मिलता है मौका
कार्यक्रम में लवली एडं ग्रुप के द्वारा राजस्थानी गाने पर डांस किया गया। वहीं फैं सी डेÑस स्पर्धा में कोई स्टूडेंट्स पहलवान बनकर आया, कोई डॉन के रुप में स्टेज पर उतरा। इनके द्वारा किए गए परफार्म को उपस्थित लोगों ने काफी पसंद किया। स्टूडेंट्स द्वारा दिए गए परफॉर्म को देखकर निणर्य देने के लिए स्कूल के तीन शिक्षकों को जज के रुप में चयनित किया गया था।
विदाई समारोह में निकली आशु
मंगलवार को संस्कार भारती स्कूल के ग्यारहवीं के स्टूडेंट्स ने बारहवीं कक्षा के स्टूडेंट्स के लिए विदाई समारोह का आयोजन किया। कार्यक्रम में स्कूल के सभी स्टूडेंट्स उपस्थित थे। कार्यक्रम में गर्ल्स स्टूडेंट्स साड़ी पहनकर आई थीं। कार्यक्रम में कोई हरे कलर की, कोई लाल कलर की साड़ी पहनकर आई थीं। विदाई पार्टी में जूनियर स्टूडेंट्स नें विभिन्न तरह के स्पर्धाओं का भी आयोजन किया। सीनियर व जूनियर दोनों ने मिल कर खूब एंज्वॉय किया। कार्यक्रम में शिक्षक सहित सीनियर व जूनियर स्टूडेंट्स सभी ने मिलकर डांस भी किया। स्कूल की प्राचार्य पूर्णिमा तिवारी ने बताया कि स्टूडेंट्स के स्कूल के दिनों को यादगार बनाने के लिए इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। स्कूल की ओर से सभी स्टूडेंट्स को पुरस्कार भी दिया गया। वहीं मिस संस्कार भारती अनमोल शर्मा व मिस ईवनिंग के लिए कोमल व्यास का चयन किया गया। कार्यक्रम के दौरान महेश सोनी, रोहित साहू, अश्विन वर्मा के अलावा अन्य शिक्षकगण भी उपस्थित रहे।

वल्डकप देखेंगे एलसीडी पर

शेखर झा
क्रिकेट की दीवानगी से हर कोई वाकिफ है। खास वर्ल्डकप को देखते हुए विभिन्न टेलीविजन निर्माता कंपनियां भी इस मौके को भुनाने से नहीं चूकना चाहती हैं। इसके लिए उन्होंने अभी से टीवी और एलसीडी पर छूट देना भी शुरु कर दी है। जाहिर-सी बात है कि क्रिकेट प्रेमी 19 फरवरी से शुरु होने वाले वर्ल्डकप को देखते समय किसी प्रकार भी प्रकार के परेशानी झेलना पसंद नहीं करेंगे। इसके साथ ही स्टेडियम का मजा घर बैठे ही लेना चाहते होंगे। इसी चीज को समझते हुए कंपनियों ने बेहतर पिक्चर क्वालिटी, बेहतर साउंड की के लिए क्रिकेट प्रेमियों को अपनी पुरानी टीवी एक्सचेंज करके नई टीवी देने का आफर दे रही हैं। राजधानी में भी ये आफर शुरु हो चुका है। इसके साथ क्रिकेट देखते समय कहीं केबल बंद न हो जाए इस डर से भी ज्यादातर लोग अपने घर पर डीटीएच कनेक्शन लेना पसंद कर रहे हैं।
एलसीडी पर छूट
जयस्तंभ चौक स्थित फेयरडील सोनी शोरुम के संचालक रवि मेघानी ने बताया कि कुछ ही दिनों बाद से शुरु हो रहे वर्ल्डकप को देखते हुए हमारे यहां क्रिकेट प्रेमियों को विशेष छूट दी जा रही है। अभी हमारे यहां टीवी और होमथियेटर पर छूट दी जा रही है। इसके अलावा सभी टीवी सैट के साथ एयरटेल का डीटीएच कनेक्शन भी फ्री दिया जा रहा है। पिछले 15 दिनों से शुरु हुआ ये आॅफर खास वर्ल्डकप को देखते हुए ही शुरु किया गया है। इसके साथ ही इस आफर के चलते टीवी सैट खरीदने वाले लोगों को सोनी कम्पनी के द्वारा एक कूपन दिया जा रहा है। इस दौरान सभी कस्टमर में से 100 लोगों को लकी ड्रा के तहत चुनकर भारतीय टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से मिलने का मौका दिया जाएगा।
एलसीडी की पूछ-परख ज्यादा
कचहरी चौक स्थित यूनिवर्सल सर्विस दुकान के संचालक गौरव डागा ने बताया कि वर्ल्डकप को देखते हुए सभी सामानों पर काफी छूट दी जा रही है। लोगों का वर्ल्डकप के लिए कितना क्रेज है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दुकानों में प्रत्येक दिन दस से पंद्रह लोग आकर एलसीडी के बारे में जानकारी ले रहे हैं। दुकान में सेमसंग, सोनी, एलजी व अन्य ब्रांडेड कम्पनियों के टीवी, एलसीडी उपलब्ध हैं। खास वर्ल्डकप को देखते हुए सभी कम्पनियों के एलसीडी व एलईडी के दामों में दो से तीन हजार रुपए कम किए गए हैं। वहीं सेमसंग के साथ डिशटीवी, सोनी के साथ एयरटेल, एलजी के साथ एयरटेल का डीटीएच फ्री दिया जा रहा है।

जरा इन बातो पर ध्यान दे

शेखर झा
कुछ विचित्र सी खबरें पढ़ने को मिलती हैं। खबर यह होती है कि अमूक विद्यार्थी ने आत्महत्या कर ली, क्योंकि उसे अच्छी अँगरेजी नहीं आती थी। यह भी खबर पढ़ने को मिलती है कि उसने आत्महत्या कर ली, क्योंकि उसकी प्रेमिका ने उसे ठुकरा दिया या प्रेमी से उसकी शादी नहीं हो सकी। यह पढ़कर न केवल गहरा दुःख होता है, बल्कि धक्का सा पहुँचता है।
दुःख इसलिए होता है कि एक ऐसा जीवन जिसे इस धरती ने अपनी गोद में 18-20 साल रखा। जिसे प्रकृति ने अपनी हवा, पानी और रोशनी से पाला-पोसा, वह यूँ ही एक मिनट में इन सबको ठुकराकर इतना अधिक निर्दयी बनाकर एक मिनट में चलता बना। वह कुछ बनकर इस धरती को और बेहतर बनाने में जो अपना योगदान दे सकता था, उस संभावना को उसने अपने जीवन की समाप्ति के साथ ही समाप्त कर दिया। धक्का मुझे इसलिए लगता है कि मैं सोचता हूँ कि क्या इतने अमूल्य, इतने महत्वपूर्ण और इतने असाधारण जीवन को ऐसी छोटी-छोटी बातों के लिए खत्म कर दिया जाना चाहिए? कम से कम मैं तो इससे इत्तफाक नहीं रख पाता। हो सकता है कि मेरी इस बात से मेरे युवा साथी सहमत न हों, क्योंकि उन्हें प्रेम की सफलता और असफलता जिंदगी की एक बहुत बड़ी बात मालूम पड़ती है। इसलिए वे इसके लिए मरने और मारने की बात को एक प्रकार से अपने अस्तित्व से ही जोड़कर देखने लगते हैं।
उन्हें लगता है कि यदि प्रेम ही नहीं रह गया तो जिंदगी के रहने का अर्थ ही क्या है। और समाज में ऐसे भावुक युवा प्रेमियों को समझा पाना इतना आसान भी नहीं होता। ऐसे कई लोगों से मेरा साबका पड़ा है और मैंने समझाने की इस परेशानी को झेला भी है। मैंने पाया है कि उनके सारे सच के केंद्र में उनकी अतिरिक्त भावुकता होती है।
यदि उनकी इस भावुकता पर तार्किकता की थोड़ी सी भी लगाम कसी जा सके तो ऐसी न जाने कितनी जिंदगियों को नष्ट होने से बचाया जा सकता है। यहाँ तक कि बहुत सी ऐसी भी जिंदगियाँ होती हैं, जो नष्ट तो नहीं होती, लेकिन अपने उस खोए हुए प्यार को अपने दिल में दबाए हुए अपने लिए लगातार बर्बादी के रास्ते तलाशती रहती है। ये जितना बेहतर जीवन जी सकते थे, अपने-आपको उस बेहतर जीवन से वंचित कर लेते हैं।

मित्रों सातवें दशक के एक बहुत खूबसूरत फिल्मी गीत की पंक्तियाँ हैं-
छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए
यह मुनासिब नहीं जिंदगी के लिए।
प्यार से भी जरूरी कई काम हैं
प्यार सब कुछ नहीं जिंदगी के लिए।


प्यार बहुत कुछ तो हो सकता है, लेकिन सब कुछ कतई नहीं। और यदि सच पूछिए तो प्रेम केवल तभी तक प्रेम रहता है, जब तक कि वह आपको मिलता नहीं। जैसे ही प्रेम मिल जाता है, यानी कि प्रेमिका पत्नी और प्रेमी पति बन जाता है, जैसे ही प्रेम उड़न-छू हो जाता है। स्पष्ट है कि जब प्रेमी प्रेमी नहीं रहा और प्रेमिका प्रेमिका नहीं रही, तो फिर भला प्रेम ही प्रेम कैसे रह सकता है। मैं जानता हूँ कि मेरी इस बात पर सौ प्रश प्रेम-प्रेमिका भरोसा नहीं करेंगे, क्योंकि इस पर भरोसा करने के लिए अनुभव की जरूरत होती है और यदि एक बार अनुभ वहो जाए तो फिर आप भरोसा करें या न करें उसका कोई अर्थ नहीं रह जाता।
इसलिए फिलहाल तो मैं अपने युवा मित्रों से यही कह सकता हूँ कि कृपया यकीन करें। साथ ही एक बात और। जिंदगी के किसी भी क्षेत्र की सफलता का परिणाम आप अपने जीवन के अंत में क्यों ढ़ूँढते हैं? आपको लगता होगा कि यह जिंदगी आपकी है और आप इसके साथ जैसा चाहें, बर्ताव कर सकते हैं।
यदि आप ऐसा सोचते हैं कि जो गलत सोचते हैं, क्योंकि यह जिंदगी आपकी होकर भी आपकी नहीं है। यह ईश्वर और प्रकृति के द्वारा आपके पास रखी गई एक धरोहर मात्र है। आप इसके केवल रखवाले भर हैं। जिस तरह एक चौकीदार उस घर का मालिक नहीं हो जाता जिसकी वह रखवाली कर रहा है, उसी तरह आप भी अपने शरीर के मालिक नहीं है, जिसको आप पाल-पोस रहे हैं। आपके माँ-बाप ने इसको तैयार किया है और पूरी प्रकृति और पूरा समाज मिलकर इसके अस्तित्व को बनाए रखने में इसकी मदद कर रहा है। इसलिए किसी व्यक्ति को यह अधिकारी नहीं होता कि वह ईश्वर की इस धरोहर को नष्ट कर दे।
मित्रों जीवन में कभी ऐसा नहीं होता कि रास्ते खत्म हो जाते हैं। रास्ते खत्म नहीं होते; हाँ, वे मुड़ सकते हैं। बड़े रास्ते छोटी पगडंडियाँ बन सकती हैं। लेकिन वे मरती कभी नहीं। जिंदगी हमेशा संभावनाओं से भरा हुआ एक विशाल कर्मक्षेत्र होता है जहाँ एक दरवाजा बंद होने पर सौ दरवाजे खुलने की प्रतीक्षा करते रहते हैं।
आपको करना केवल यह होता है कि अपने आँखों के आँसुओं को पोंछकर आँखें उठाकर आशा भरी नजरों से क्षितिज को निहारना होता है और आपके देखते ही देखते न जाने कितने दरवाजे उन्मुक्त हो जाते हैं। इसलिए उदास, निराश और हताश होने की कोई जरूरत ही नहीं होती।

रविवार, 6 फ़रवरी 2011

क्यूट सी गर्लफ्रेंड को क्यूट सा गिफ्ट




वेलेंटाइन-डे को खास बनाने के लिए युवाओं ने प्लानिंग शुरु कर दी है। इसमें सबसे इम्पोर्टेंट होता ही अपने खास के लिए गिफ्ट खरीदना। फ्लावर्स, चॉकलेट्स और कोई आर्टिफिशियल चीजों की लिस्ट में एक नाम और शामिल हो गया है और वो है ‘पपी’। जी हां! सुनकर आश्चर्य हुआ न मगर ये सच है राजधानी में खास वेलेंटाइन-डे के लिए लोग डॉग्स परचेज कर रहे हैं। इन पपी की कीमत भी तीन हजार से शुरु होकर पचास हजार तक है।
शेखर झा
प्यार के दिन को खास बनाने के लिए यूथ्स बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। अपनी गर्लफ्रैंड को या अपने बॉयफै्रं ड को ऐसा क्या दूं कि बस उसके लिए ये दिन खास बन जाए। कुछ इसी सोच के चलते इन दिनों यूथ्स गिफ्ट्स के आप्शन की तलाश में हैं। इनमें से कुछेक ने तो इस वेलेंटाइन-डे पर अपने अजीज को पपी देने की ही प्लानिंग कर डाली है। वहीं कुछ लोगों ने तो खरीदकर ले जाना भी शुरु कर दिया है। कटोरातालाब चौक स्थित कमांडो डॉग दुकान में इन दिनों पपी की तलाश में लोगों का आना-जाना लगा हुआ है। इसमें बॉयफ्रैंड खास अपनी गर्लफ्रैंड के लिए पामोलियन नस्ल का डॉग (पपी) खरीद रहे हैं। इस किस्म के डॉग की कीमत 3 हजार से शुरु है।
पपी की पूछपरख ज्यादा
कटोरातालाब स्थित कमांडो डॉग दुकान के संचालक सैफ खान ने बताया कि वैलेंटाइन के आने से पहले ही लोग गिफ्ट के लिए पपी देखने के लिए आने लगे हैं। खास वेलेंटाइन-डे को देखते हुए कहा जाए तो रोजाना दो, तीन पपी की बिक्री हो ही जाती है। सबसे ज्यादा व्हाइट कलर वाले पपी खरीदे जा रहे हैं। इन पपी के खरीदार सिर्फ शहर में ही नहीं बल्कि जगदलपुर, कांकेर, चारामा व उड़ीसा तक में हैं। यहां से भी इन पपी की डिमांड आती है। जो लोग इन पपीज को खरीद रहे हैं उनका कहना है कि वेलेंटाइन पर गुलाब फूल, चॉकलेट देने से अच्छा है कि कुछ ऐसी चीज दें कि वो हमेशा याद रहे।
विदेशी नस्ल के डॉग भी
सैफ खान बताते हंै कि दुकान में देश के साथ विदेशी नस्ल के डॉग भी हैं। ये सभी डॉग्स चेन्नई, बैंग्लोर, कलकत्ता, हैदराबाद, दिल्ली व जयपुर के साथ मास्को व साउथ अफ्रीका से मंगवाए जाते हैं। दुकान में पामोलियन, जर्मन शेफर्ड, लेब्राडोर, कॉकर स्पेनियर, रॉट विलर, ग्रेग डन, गोल्डन रिटेवर, बूल मैस्टिक, सेंट ब्रनाड व अन्य नस्लों के डॉग उपलब्ध हैं। इस सभी नस्लों में से सबसे ज्यादा लोग पामोलियन, लेब्राडोर, जर्मन शेफर्ड के पपी की खरीदी कर रहे हैं।
वेलेंटाइन छूट भी
वेलेंटाइन डे को देखते हुए हमारी दुकान की ओर से इन डॉग्स की खरीदी पर दस फीसदी की छूट दी जा रही है। सैफ खान ने बताया कि वैलेंटाइन डे में किसी के द्वारा डॉग का जोड़ा खरीदा जाता है, तब उन्हें दस फीसदी छूट दी जा रही है। उन्होंने बताया कि जिनके द्वारा डॉग की खरीदी की जाती है उनके घर जाकर डॉग को तीन महीने की टेÑनिंग भी दिए जाने की सुविधा दी जा रही है। ट्रेनिंग दिए जाने का उनके द्वारा अलग से दाम किया जाता है। वैलेंटाइन डे को देखते हुए एक दिन में कम से कम दो से तीन डॉग की बिक्री हो जा रही है।

शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2011

रायपुर के गांवों से गुजरेगी पेट्रोलियम पाइपलाइन

पारादीप-सम्बलपुर-रायपुर-रांची से होकर जाएगी पाइपलाइन, अधिग्रहण शुरू
मनीष सिंह
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर इंडियन आॅयल कार्पोरेशन लिमिटेड के ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने जा रहा है। प्रोजेक्ट के तहत एक पाइपलाइन के जरिए पेट्रोेलियम प्रोडक्ट सीधा रायपुर पहुंचेंगे। रायपुर समेत 3 शहरों के डिलीवरी सेंटरों से आसपास के इलाकों एवं पड़ोसी राज्यों को पेट्रोलियम प्रोडक्ट की सप्लाई होगी।
उड़ीसा के कटक जिला स्थित पारादीप में 15 मिलियन टन सालाना उत्पादन क्षमता की रिफाइनरी स्थापित की जा रही है। इस रिफायनरी से उड़ीसा, छत्तीसगढ़ एवं झारखंड को पेट्रोलियम पदार्थों की सप्लाई की जानी है। इसके लिए रायपुर, जटनी, झारसुगड़ा एवं रांची में डिलीवरी सेंटर बनाए जा रहे हैं। पारादीप, सम्बलपुर, रायपुर एवं रांची से होकर 1108 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन पेट्रोलियम उत्पादों का परिवहन करेगी। इंडियन आॅयल ने इस ड्रीम प्रोजेक्ट की राह में पहला कदम रख दिया है। मोटी और मजबूत पाइपलाइन के लिए चिन्हित किए गए इलाकों में रास्ता तलाश लिया गया है। रायपुर जिले के बिलाईगढ़ तहसील के 13 गांवों की जमीन के नीचे से पाइपलाइन गुजरेगी। ये सारे गांव उड़ीसा एवं छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे हैं।
पारादीप पोर्ट ट्रस्ट से पेट्रोलियम पदार्थों की सप्लाई होगी। बंगाल की खाड़ी से कू्रड आॅयल पारादीप पोर्ट के दक्षिणी डॉक तक लाया जाएगा। इसे पारादीप पोर्ट ट्रस्ट में रिफाइन कर चुनिंदा राज्यों में सप्लाई किया जाएगा। इसके लिए खाड़ी से पारादीप पोर्ट के दक्षिणी डॉक कांप्लेक्स तक 15 मीटर चौडृी एवं 7 किलोमीटर लंबी सड़क बनाई जा रही है।
बिलाईगढ़ के इन गांवों से गुजरेगी लाइन
गांव प्र•ाावित
नरेशनगर 17
ढनढनी 22
रायकोना 67
मुड़पार 75
पिपरडुला 31
सरसींवा 29
पेण्ड्रावन 30
चार•ााठा 29
बलौदी 41
जैतपुर 96
झुमका 12
मोहतरा 82
छिरचुवा 15
बाक्स-2
फरवरी में जमीन अधिग्रहण
केंद्र सरकार के पेट्रोलियम और खनिज पाइपलाइन अधिनियम 1962 की धारा 3 की उपधारा (1) के तहत पाइपलाइन बिछाने के लिए •ाूमि का अर्जन किया जा रहा है। जिला प्रशासन ने 18 जनवरी को यह सूचना प्र•ाावित •ाूस्वामियों को •िाजवा दी है। •ाूस्वामियों को दावे-आपत्ति के लिए 21 दिन का समय दिया गया है। इसके बाद फरवरी में चुनी गई जमीन का मालिकाना हक इंडियन आॅयल कॉर्पोरेशन को मिल जाएगा।
दो पंपिंग स्टेशन
पेट्रोलियम पदार्थों की सप्लाई के लिए दो पंपिंग स्टेशन प्रस्तावित हैं। उड़ीसा के जटनी और संबलपुर में पंपिंग स्टेशन बनाने का प्लान है। इन स्टेशनों के जरिए डिलिवरी सेंटर्स तक रिफाइंड पेट्रोलियम पदार्थों की सप्लाई होगी। डिलीवरी सेंटर से चुनिंदा जगहों पर पेट्रोलियम पदार्थ •ोजे जाएंगे।
बाक्स-4
2012 से बहेगा पेट्रोल
पाइपलाइन के जरिए 2012 से पेट्रोलियम पदार्थों की सप्लाई शुरू हो जाएगी। पाइपलाइन की सप्लाई क्षमता 3 मिलियन टन सालाना होगा। प्रोजेक्ट में काफी मोटी एवं मजबूत पाइप का इस्तेमाल होगा। पाइपलाइन के देख•ााल के लिए संबंधित इलाकों में कंपनी के अफसरों की तैनाती होगी।


पाइपलाइन जिन इलाकों से गुजारी जानी है, इसके लिए जमीन का चयन कर लिया गया है। राज्य सरकार के अफसरों की मदद से जमीन अधिग्रहण का सिलसिला शुरू हो गया है। फरवरी माह तक पूरी जमीन इंडियन आॅयल कॉर्पोरेशन के अधीन हो जाएगी। इसके बाद पाइपलाइन बिछाने का काम शुरू हो जाएगा।
-- आर सिंह, डीजीएम, पाइपलाइन, इंडियन आॅयल कार्पोरेशन