मंगलवार, 22 मार्च 2011

मुसीबत न बन जाए मोबाइल...


सुबह के 10 बजकर 30 मिनट। बॉस के साथ मीटिंग। अचानक गर्लफ्रेंड का फोन आया और आपका मोबाइल बज उठता है। ऑफ का बटन दबाते-दबाते बॉस सहित बैठे तमाम सहकर्मियों की नजरें आपके चहरे पर आ चिपकती हैं। आप झेप जाते हैं।

आपने एक फनी मैसेज अपने ब्वॉयफ्रेंड के लिए लिखा है। तभी आपके सीनियर का मैसेज फ्लैश होता है 'कहाँ हो? रिपोर्ट करो।' आप जल्दी-जल्दी व हड़बड़ी में ब्वॉयफ्रेंड को तैयार मैसेज सीनियर को भेज देती हैं। क्लिक होने के बाद झटका लगता है कि ये क्या हो गया, लेकिन अब कोई फायदा नहीं। बटन दब चुका है।

ऐसे उदाहरणों की फेहरिस्त बहुत लंबी हो सकती है, लेकिन आप दो से ही पूरी बात समझ जाएँगे। तकनीक के बारे में कहा जाता है वह दोधारी तलवार की तेज धार होती है। अगर जरा-सी चूक हुई तो आप खुद भी घायल हो सकते हैं। यानी तकनीक के बिना जिया भी नहीं जा सकता और तकनीक के साथ जीने में असावधानी भी नहीं बरती जा सकती।

फिर अगर मामला प्रेमिका का हो तब तो यह स्थिति और भी असमंजस वाली जाती है। आप पूरी रात मोबाइल इसलिए नहीं ऑफ करते कि शायद उसका फोन आ जाए, मैसेज आ जाए और इस इंतजार में आपको ऐसे लोग पकड़ लेते हैं, जिनसे आप पिंड छुड़ाना चाहते हैं। आप बाथरूम में हैं और मोबाइल बाहर है।

मैसेज फ्लैश होता है और उन आँखों के सामने से गुजर जाता है, जिनसे नहीं गुजरना चाहिए। सारे दिन का प्रोग्राम गड्डमड्ड हो सकता है।

मतलब यह कि प्रेमिका का मोबाइल एक नहीं, कई तरह के खतरों का बटन है। जरा-सी भी असावधानी हुई कि दुर्घटना घटते देर नहीं लगेगी, मगर आज की तारीख में यह उपदेश नहीं दिया जा सकता या इसे रखने की क्या जरूरत? यह मोबाइल युग है। आम हो या खास, बाजार हो या कॉलेज, लड़का हो या लड़की, सबके हाथ में मोबाइल दिखेगा। मोबाइल आज महज एक-दूसरे से संपर्क करने का जरिया भर नहीं है।

पिछले कई सालों में देशों में हुई मोबाइल के इस्तेमाल संबंधी शोधों से यह बात सामने आई है कि मोबाइल के चलते बॉस की नजरों में सबसे जल्दी वे युवा चढ़ जाते हैं, जिनका अभी ताजा-ताजा अफेयर शुरू हुआ है या अपने आँधी-तूफान के दिनों में हैं।


हाल के वर्षों में पश्चिम के कई देशों में यह महसूस किया गया है कि युवा कर्मचारी और उनके मोबाइल की घंटियाँ ऑफिस के वर्क कल्चर को नुकसान पहुँचाती हैं। इसलिए कई पश्चिमी देशों में मोबाइल को लेकर ये नियम बना दिए गए हैं कि मेरा कर्मचारी जैसे ही कंपनी के परिसर में प्रवेश करेगा, वहाँ लगे जैमर से उसका मोबाइल सिग्नल पकड़ने के लायक नहीं बचेगा।

तमाम कंपनियाँ कर्मचारियों से ड्यूटी अवर में मोबाइल स्विच ऑफ करवा देती हैं। हमारे यहाँ भी कई कंपनियों ने यह शुरू कर दिया है, क्योंकि एक तो मोबाइल के मामले में हम चमत्कारिक दर से विकास कर रहे हैं, दूसरी बात यह है कि हम घंटी बजाने में कुछ ज्यादा ही बिंदास हैं।

अगर आप भी अपने ब्वॉयफ्रेंड को ऑफिस अवर में जब भी मन किया उसके मोबाइल को बजा देती हैं तो अब सावधान हो जाइए। इससे उसकी नौकरी भी जा सकती है, क्योंकि इससे :

* आपके ब्वॉयफ्रेंड की बॉस की नजरों में अच्छी इमेज नहीं रहती।
* उसे कामचोर और गप्पबाज भी समझा जा सकता है।
* इससे ऑफिस का वर्क कल्चर बिगड़ता है।
* बॉस के पास शिकायतें जाती हैं।
* ऑफिस में आपके ब्वॉयफ्रेंड का प्रभाव घटता है।
* इससे प्राइवेसी खत्म हो जाती है। खुद की भी और बगल वालों की भी।
* सहकर्मियों के बीच आप और आपका ब्वॉयफ्रेंड अनावश्यक चर्चा का विषय बन जाता है।
* इससे आपका ब्वॉयफ्रेंड अपने प्रोजेक्ट समय पर पूरे नहीं कर पाता। कर भी लिया तो क्वॉलिटी गिर जाती है।

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