मंगलवार, 22 मार्च 2011

अपने ही रंग में रंग ले मुझको..


निखिलेश काफी समय से दुविधा में था कि सोनिया को प्रपोज कैसे करे। वेलेंटाइन डे भी आकर चला गया लेकिन सोनिया से बात करते समय उसके हाथ-पैरों की कंपन दूर नहीं हुई थी। करियर में कई महत्वपूर्ण परीक्षाओं को चुटकियों में क्लियर कर चुका निखिलेश साल भार बाद भी प्यार की परीक्षा के लिए क्वालिफाय करने का साहस भी नहीं जुटा सका था।

प्रेम के इजहार के लिए होली का त्योहार सर्वाधिक माकूल। निखिलेश ने जब सोनिया को रंगा तो जीवन की मदमस्त होली में चूर उस पर से आज तक यह रंग नहीं उतरा।

त्योहार ही हैं जोकि व्यक्ति के आपसी मनमुटाव को दूर कर उन्हें फिर से नववर्ष में मधुर संबंध बनाने के लिए अगुआ करते हैं। भारतीय संस्कृति में यूँ तो हर दिन कोई न कोई त्योहार होता है। लेकिन होली, दशहरा, दिवाली आदि की बात ही कुछ और है।

मौजमस्ती के हिसाब से थोड़ा सकुचाते हुए जब निखिलेश ने मौका पाकर गुलाल सोनिया के गाल पर लगाया तो सोनिया दंग रह गई और तुरंत ही दिल में आने वाले भावों को अभिव्यक्त करने के लिए उसने पास भरी रखी रंग के पानी की बाल्टी डालकर उसे ऊपर से नीचे तक तरबतर कर दिया।

उसके बाद दोनों के ‍बीच शुरू हुआ ईलु-ईलु निर्बाध जारी है। प्यार के रंग से सराबोर होली निखिलेश और सोनिया के लिए अजर-अमर हो गई।

फिल्म सौदागर में सुभाष घई ने काफी मशक्कत के बाद होली का त्योहार शामिल किया था। क्योंकि उन्हें राजबीर (राजकुमार) और वीरसिंह (दिलीप कुमार) की वर्षों से चली आ रही जानी दुश्मनी को खत्म कर दोस्ती में तब्दील करना था और दर्शकों ने इसे काफी सराहा भी था।

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