रविवार, 29 जनवरी 2012

नहीं जानते संविधान को

सर्वे में हुआ खुलासा, सिर्फ ४० फीसदी स्टूडेंट्स रूबरू हैं सविधान से
शेखर झा
गणतंत्र दिवस का कौन सा वर्ष हैï? संविधान के कितने अनुच्छेद और अनुसूचियां हैं? संविधान में अब तक कितने संशोधन हुए हैंï? ऐसे ही कई सवालों से आज भी स्टूडेंट्स अनजान हैं। मंगलवार को जस्ट ट्विनसिटी के सर्वे में इसका खुलासा हुआ। जिसमें सिर्फ ४० फीसदी स्टूडेंट्स को अपने संविधान के बारे में जानकारी है। वहीं कई स्टूडेंट्स को तो ये तक नहीं पता कि इस बार गणतंत्र दिवस का कौन सा वर्ष है। हर साल की तरह इस बार भी ट्विनसिटी के स्कूलों और कॉलेजों में गणतंत्र दिवस की तैयारी चल रही हैं। जब स्टूडेंट्स से पूछा गया कि वे इस बार कौन-सा गणतंत्र दिवस मनाने जा रहे हैं, तो कुछ एक दूसरे का मुंह ताकते नजर आए तो कुछ अंगुलियों पर काउंटिंग करते। ऐसा नहीं है कि ये हाल कुछ स्टूडेंट या कुछ लोगों का है, लगभग यही हाल पूरे देश का है। लोगों को न तो अपने मौलिक अधिकारों के बारे में पता है और न ही संविधान के बारे में। विशेषज्ञों का मानना है कि स्टूडेंट्स सिर्फ और सिर्फ अपनी रुचि के अनुसार ज्ञान अर्जित करते हैं। जिस तरह स्टूडेंट्स अपने स्कूल व कॉलेज के कोर्स को पूरा करने में कड़ी मेहनत करते हैं। उसी तरह उनको अपने संविधान के बारे में जानकारी अर्जित करनी चाहिए। उससे जानकारियां तो बढ़ेंगी ही साथ ही देश के संविधान से रूबरू भी होंगे।
६० फीसदी स्टूडेंट्स को नहीं है जानकारी
मंगलवार को जस्ट ट्विनसिटी ने शहर के स्कूलों व कॉलेजों में सर्वे किया। जिसमें संविधान संबंधित दस प्रश्न थे। जिसको स्टूडेंट्स ने हल किया। उसने पता चला कि ६० फीसदी स्टूडेंट्स को संविधान के बारे में जानकारी नहीं है। सर्वे में स्कूल व कॉलेज के ५० स्टूडेंट्स शामिल थे। जिसमें सिर्फ २० स्टूडेंट्स को ही संविधान की सही जानकारी थी।
जागरुकता की कमी
प्रिंसिपल एचएन दुबे ने बताया कि संविधान के बारे में स्टूडेंट्स तो अलग पेरेंट्स तक को जानकारी नहीं है। अगर पेरेंट्स को ही जानकारी नहीं है, तो स्टूडेंट्स को कहां से जानकारी रहेगी। एक तरह से कहा जा सकता है कि लोगों में जागरुकता की कमी है। स्टूडेंट्स अपनी रुचि के अनुसार सब्जेक्ट की तैयारी करते हैं। बहुत कम ही ऐसे स्टूडेंट्स रहते हैं, जो देश से जुड़ी जानकारियों को समय-समय पर प्राप्त करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि स्टूडेंट्स देश के मूल चरित्र के बारे में जानने की कोशिश ही नहीं करते हैं।
बनना होगा जिम्मेदार नागरिक
कुशाभाऊ ठाकरे जनसंचार एवं पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने कहा कि सामाजिक आंदोलन की कमी है। स्टूडेंट्स देश के भविष्य हैं। सामाजिक आंदोलन से लोगों को संविधान के बारे में जानने को मिलेगा तो वे एक जिम्मेदार नागरिक बनने में सफल रहेंगे। उन्होंने कहा कि अधिकारों को लेकर लोग तो सतर्क हैं, लेकिन बात कर्तव्य की आती है, तो लोग पीछे हो जाते हैं। जिस तरह लोग अधिकारों को लेकर सतर्क हैं, उसी तरह कर्तव्यों के प्रति भी रहना चाहिए।
जाननी होगी अहमियत
शासकीय अधिवक्ता पुष्पा रानी पाड़ी ने बताया कि गणतंत्र दिवस को, तो लोग काफी खुशी से मनाते हैं, लेकिन उसके बारे में जानकारी एकत्रित नहीं करते हैं। अभी के स्टूडेंट्स सिर्फ और सिर्फ अपने अधिक माक्र्स और कॉम्पीटिशन एग्जाम को टारगेट करते हैं। कहा जा सकता है कि डॉक्टर, इंजीनियर बनने की होड़ में स्टूडेंट्स संविधान से दूर होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि शासकीय और प्राइवेट स्कूल व कॉलेज की ओर से संविधान के प्रति स्टूडेंट्स को जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिएं। जिसके माध्यम से स्टूडेंट्स को संविधान के बारे में जानने का अवसर मिले।
सर्वे में हुआ खुलासा,
इस वर्ष कौन सा गणतंत्र दिवस मना रहे हैं?
३२त्न
भारतीय संविधान के निर्माता कौन हैं?
१००त्न
भारत का संविधान कब बनाया गया?
३२त्न
भारतीय संविधान को कब लागू किया गया?
१००त्न
राजपथ पर आयोजित कार्यक्रम में झंडा कौन फहराता है?
८०त्न
गणतंत्र दिवस पर कौन सा महत्वपूर्ण सम्मान दिया जाता है?
४४त्न
संविधान में कितने अनुच्छेद एवं अनुसूचियां हैं।
००त्न
गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजपथ पर कितनी तोपों की सलामी दी जाती है।
५६त्न
संविधान में मौलिक अधिकार किसे कहते हैं।
३६त्न
संविधान में अब तक कितने संशोधन हुए हैं।
००त्न
(नोट : सर्वे में अलग-अलग स्कूल-कॉलेजों के ५० स्टूडेंट्स से ये सवाल किए गए जिनका जबाव प्रतिशत में दिया गया है।)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें