शुक्रवार, 13 जनवरी 2012

नाटक के जरिए पेश किया बुराइयों को

अगर अजन्मी बेटी बोल पाती तो क्या होता.... चुप कर हम सभी मुंह दिखाने के काबिल ही नहीं रह पाते... मां के गर्भ में खुद को बचाने की गुहार भी नहीं लगा पाती होगी अजन्मी बेटियां... बेचारी को तकलीफ हो होती होगी ना.. मंच पर चल रहे ऐसे संवादों को सुनने के बाद अजन्मी बेटियों के दर्द को लोगों ने जरूर महसूस किया होगा। भिलाई महिला समाज के एनुअल फंक्शन में प्रस्तुति लाइट एंड साउंड शो स्वयंसिद्धा में कुछ ऐसा ही संदेश दिया गया, जिसमें बेटियों को आसामान की ऊंचाइयों को छूटे दिखाया गया है तो दूसरी ओर तीखे व्यंग के जरिए समाज में कन्या भ्रुण हत्या और दहेज जैसी बुराइयों को भी नाटक के जरिए पेश किया गया।

अगर लता मंगेशकर हमारे देश का गौरव है तो सबा और सानिया ने भी देश का मान बढ़ाया है। राष्ट्रपति से लेकर लोकसभा अध्यक्ष तक की कुर्सी पर महिलाएं राज कर रही है. पौराणिक काल में भी लड़कियों को स्वयंवर के जरिए अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार था तो देश की रक्षा के लिए रानी लक्ष्मीबाई और दुर्गावती जैसी विरांगनाओं ने भी अपने प्राणों की आहूति दे दी। इतिहास गवाह है कि कसौटी के हर पैमाने पर महिलाएं खरी उतरी हैं, लेकिन आज भी हमारे देश में कई जगह बेटी पैदा होने पर दुख मनाया जाता है। भिलाई महिला समाज के छ: क्लब ने मिलकर कुछ ऐसी ही कोशिश की जिसमें ये दिखाने की कोशिश की गई कि बेटियों के बिना ये संसार कैसा होगा। सेक्टर 1 स्थित नेहरू कलचर हाउस में हुए इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भिलाई इस्पात संयंत्र के सीईओ पंकज गौतम एवं अध्यक्षता भिलाई महिला समाज की अध्यक्ष प्रतिभा गौतम ने की। इस मौके पर बीएसपी के ईडी एवं कई आला अधिकारी मौजूद थे।
तुमसे ही तो डरती हूं मां - लाइट एंड साउंड के इस शो में सबसे आकर्षक नन्ही अर्किता का गाया गीत मैं कभी बतलाती नहीं तुमसे ही तो डरती हूं मैं मां.. गीत को सुन लोगों की आंखे नम हो गई। इस गीत के जरिए अर्किता दाम ने अजन्मी बेटी की व्यथा को पेश किया कि बेटी अपनी मां से दुनिया में आने के लिए गुहार लगा रही है। इस गीत में खुद अर्किता ने ही स्टेज पर परफार्मेंस दी।
याद आया इतिहास - 70 मिनट के इस शो में स्टेज पर पौराणिक चरित्र के साथ-साथ रानी लक्ष्मीबाई, दुर्गावती, भगत सिंह मां, कस्तुरबा गांधी के योगदान को दर्शाया गया। इन सारे केरेक्टर्स को निभाने महिलाओं ने पूरे एक महीने तक लगातार प्रेक्टिस कर खुद को उन चरित्र के अनुसार ढाला, इन केरेट्क्टर्स के मंच पर आते ही लगातार तालियां बजती रही।
नाटक में बेटियों का दर्द - आजादी के बाद और इस दौर में बेटियों की कम होती संख्या पर आधारित नाटक में तीखे संवादों और चुटीले अंदाज में यह संदेश देने की कोशिश की कई कि बेटियों के बिना आंगन से लेकर संसार सब सुना है। सिर्फ लड़कों से ही दुनिया नहीं चल सकती। नाटक के पहले हिस्से में बेटियों के पैदा होने और दहेज के लिए किस तरह लड़कियांं जलाई जाती है तो दिखाया गया। अपने अभिनय से चैती, आशावरी, मऊ, पिंकी, ममता ने लोगों तक यह संदेश पहुंचाया कि बेटी घर की शान है। वहीं दूसरे हिस्से में उस दौर की कल्पना की गई कि बेटियों के बिना बेटों की दुनिया भी बेरंग सी है।
मन के मंजीरे ने मोहा मन - नारी शक्ति पर आधारित नृत्य मन के मंजीरे आज खनकरने लगे हैं और तू ही तू... नृत्य भी काफी आर्कषक रहा। इस गीत के जरिए महिलाओं ने अपनी शक्ति और क्षमता का परिचय दिया। वहीं कार्यक्रम के तीसरे हिस्से में भिलाई महिला समाज की उपलिब्धयों को दिखाया गया कि भिलाई महिला समाज के पहले महिलाओं की जिंदगी कितनी बेरंग थी और अब उनकी प्रतिभा को मंच मिल गया। वहीं इन दिनों देश का गौरव रही महिलाओं की छवि भी दिखाने की कोशिश की गई। राजनीति से लेकर संगीत और फिल्मी दुनिया से लेकर खेल की दुनिया में अपना परचम लहराने वाली महिलाओं की उपल्बिधयों को भी गिनाया गया।
सबसे बड़ा शो - भिलाई महिला समाज के इतिहास में यह अब तक का सबसे बड़ा कार्यक्रम था जिसमें एक ही महिला का डॉयरेक्शन, संवाद, वाइस और कंसेप्ट था। मरोदा क्लब की सचिव सोनाली चक्रवती ने बताया कि अब तक के करियर में उनका सबसे बड़ा प्रोजक्ट है, स्वयंसिद्धा के इस लाइट एंड साउंड शो के लिए उन्होंने डेढ़ महीने तक लगातार मेहनत की। कंसेप्ट तैयार करने के बाद उसके संवाद और कलाकारों को अभिनय सिखाने से लेकर उन संवादों को अलग-अलग आवाजों में रिकार्ड करने का सारा कार्य उन्होंने ही किया। वे कहती हैं कि इस ड्रीम प्रोजक्ट को पूरा करने के लिए छ: क्लब की महिलाओं ने उनका साथ दिया।
किया सम्मान - कार्यक्रम के दौरान कार्यक्रम संयोजन के लिए सोनाली चक्रवर्ती और नृत्य संयोजन के लिए इप्शिता मुखर्जी को सीईओं ने सम्मानित किया। इस दौरान भिलाई महिला समाज की पदाधिकारी उपस्थित थीं।

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